वो देखो, फिर चल पङी खुशियां,
दामन को मेरे झाङ कर,
आंसुओं के सागर में,
ख़ाबों की कश्ती डाल कर,
वो देखो, चल पङी खुशियां,
दामन को मेरे झाङ कर।
फिर वही ग़म,
जो पहले भी मेरे साथ था,
पहले से भी ज्यादा जिसमें,
दर्द का आभास था,
वो पलकें जो आंसुओं को,
कब से थामे हुई थी,
आज फिर उनमें,
नमी का एहसास था,
अब वही मैं थी, वही आंसू,
वही ग़मों ने घेरा था,
आज मेरे पास सिर्फ यादें थी,
और यादों का बसेरा था।
सिर्फ यादों का बसेरा था ।।
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दामन को मेरे झाङ कर,
आंसुओं के सागर में,
ख़ाबों की कश्ती डाल कर,
वो देखो, चल पङी खुशियां,
दामन को मेरे झाङ कर।
फिर वही ग़म,
जो पहले भी मेरे साथ था,
पहले से भी ज्यादा जिसमें,
दर्द का आभास था,
वो पलकें जो आंसुओं को,
कब से थामे हुई थी,
आज फिर उनमें,
नमी का एहसास था,
अब वही मैं थी, वही आंसू,
वही ग़मों ने घेरा था,
आज मेरे पास सिर्फ यादें थी,
और यादों का बसेरा था।
सिर्फ यादों का बसेरा था ।।
..........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
very cool.
ReplyDeletethat's way too cool.
ReplyDeleteSuch a nice blog. I hope you will create another post like this.
ReplyDeleteअच्छी कविता...आगे आपसे और भी उम्मीदें है।
ReplyDeleteयाद न जाए, बीते दिनों की
ReplyDeleteजाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...
रफी साहब की ये पंक्तियां आपको कमेंट के रूप में इसलिए दी हैं कि आपकी कविता बेहतरीन है काबिले तारीफ है बहुत ही अच्छा और दिल को छू लेने वाली कविता होती हैं आपकी बहुत बहुत बधाई हो प्रीती जी
बहुत उम्दा... बेहतरीन...
ReplyDeleteबहुत खूब.
वो पलकें जो आंसुओं को,
ReplyDeleteकब से थामे हुई थी,
आज फिर उनमें,
नमी का एहसास था,
अब वही मैं थी, वही आंसू,
सुन्दर अभिव्यक्ति।
very good ...
ReplyDeleteवो देखो, फिर चल पङी खुशियां,
ReplyDeleteदामन को मेरे झाङ कर,
बहुत ही उम्दा।
सुन्दर.लिखते रहें
ReplyDeleteवाह क्या खूब लिखा है, आप खूब लिखती हैं...ऐसे ही जारी रखिएगा प्रीती जी
ReplyDeleteअच्छा है. बधाई. लिखती रहें.
ReplyDeleteवाकई सुंदर, उम्दा
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसुन्दरतम !
ReplyDeleteशुभकामनाएं !!
मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब,
ReplyDeleteजो मेरी आंखों में, हैं अभी,
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..................
ओंस की बूंदों की आंखों से,
नमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,
.....................
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
.............
बहुत ही खुबसूरत अंदाज़ है आपका.शब्दों के साथ साथ चित्रों का इस्तेमाल सोने पे सुहागा लग रहा है .बधाई हो