Tuesday, July 29, 2008

ये म्यारा पहाङ है.........



ये म्यारा पहाङ है,
ये म्यारा पहाङ...
हरी-हरी वसुन्धरा पे,
खिल रहें जो फूल से,
हवा भी बह रही है, जहां
छू के, बर्फ को सकून से,
अमृत सी हर बूंद जंहा,
कर रही श्रंगार है....,
ये म्यारा पहाङ है,
ये म्यारा पहाङ...

ये ऊंचे-ऊंचे वृक्ष यहां,
अपने में इसकी शान है,
यहां फल और फूल ही क्या,
यहां जङी-बटियों की खान हैं,
ये म्यारा पहाङ है,
ये म्यारा पहाङ...
............

प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

24 comments:

  1. ये मेरा भी पहाड़ है जो खड़ा है शान से

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  2. वाह वाह. क्या बात कही है आपने.

    याँ इक घर म्यर लै छू
    जरा ढूँढो तो यारो.
    म्यर पहाड़ कुनि सब
    कां रै गईं आज सब
    सब जानि देशन में
    पहाड़ देखरौ उनरी बाट .

    कामोद

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  3. बहुत सुन्दर शब्द चित्रण किया है।अति सुन्दर।

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  4. बहुत ही रोचक और शानदार। सुंदरतम और सटीक।

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  5. Its very difficult to comment for such a beautiful article which touchs sentiments & true emotions.So i have to raise my hands & say kindly keep it up....nothing else from the bottom of my heart...

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  6. REAL PICTURES OF UR HILLS N MOUNTS WILL BE APPRECIATED MORE , COS' THE PICTURE U HAVE USED IS SIMPLY A NET-LIFT. PICK A CAMERA AND SHOOT. NICE POEM!

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  7. खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!

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  8. यह पहाड तो हमारे भी हे, बहुत सुन्दर कविता हे, धन्यवाद

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  9. कामोद जी के शब्दों को ही दोहराऊँगी,
    याँ इक घर म्यर लै छू
    जरा ढूँढो तो यारो.
    म्यर पहाड़ कुनि सब
    कां रै गईं आज सब
    सब जानि देशन में
    पहाड़ देखरौ उनरी बाट .

    और मैं तक रही हूँ पहाड़ जाने की बाट।
    घुघूती बासूती

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  10. myor man maa bhi hook uthti raind .myar maa t buba ji bhi pahad maa chan .me bas pati parivaar dagad yakh vakh lamdni raind .yonk kaam hi inn ch .tumar blog padi, mee tha bhal laag. inni likhdyun rai.dher bhukki k saath bhawna

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. वाह वाह
    बेहतरीन और उम्दा.

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  13. बहुत खूब....लिखती रहिये.
    नीरज

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  14. म्यारा पहाड़……… गढ्वाली भाषा का अपनत्व से भरपूर शब्द्। इना शब्द सूणी क मन मा बहुत ही अच्छू लगदू। प्रीती आपका ईमेल आई डी दे सकती है क्या? my id is barthwals@ymail.com

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  15. preeti hi my id is barthwal@ymail.com (myself also barthwal)you can contact me or you can visit and join the group for barthwals at
    http://groups.yahoo.com/group/barthwals/

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  16. खूबसरत चित्र ओर उतने ही गहरे भाव

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  17. खूबसरत चित्र ओर उतने ही गहरे भाव

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  18. प्रकृति को विषय बनाकर लिखी गयी एक अच्छी कविता!

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  19. इतने सुंदर शब्दों का संयोजन और भावाभिव्यक्ति
    अति उत्तम ! तुमको आशीष और तुम्हारे अन्दर
    विराजमान कवियत्री को इस ताऊ के प्रणाम !

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  20. बहुत हि सुंदर लिखा है अपने पहाड़ पे
    दिल को भा गयी क्या लिखती हो आप् दीदी ..
    हो सके तो आप् पहाड़ अपने हि पहाड़ का चित्र डाले ...
    मुझे भी आपसे बहुत कुछ सिकने को मीलता है.....

    आपको मेरा पर्डाम ...

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  21. Hi All reader i am Vishal from Uttarakhand i like it so dear friends carry on this site!!!

    vishals040@gmail.com

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  22. H Priti ji Namaskar. Bara julm hota hai unke sath jo ham tak hamari jarurat ki chijen pahunchate hain. aaj hamare pahar ke sath bhi aisa hi ho raha hai. Uske sath jo hamen khus rakhta hai. Hamen kya sirf uski khubsurti ki tarif karni chahie? Maf keejiega, mera irada aapko pareshan karne ka nahin tha. Mujhe pata hai aap apne blog ke sath khus hain. Meri hardik ichha hai aap khus rahen. Janm din par der se hi sahi lekin bahut bahut mubarakbad.
    Devendra
    devhills@gmail.com

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