Thursday, July 15, 2010

ऐ साथी मेरे सुन................




ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को,
साथ रहना सदा,
चाहे, कोई बात हो,
सुख का सूरज हो या,
हो दुख की काली घटा,
राह में पत्थर भी हों,
चाहे हों फुलवारियां......,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।



वो वादे तुम्हारे,
न हम भूल पाए,
तभी तो ये पलकें,
कभी मुस्कुराएं,
कभी भीग जाएं।
वो टुक टुक नजर से,
नजर को मिलाएं,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।



पहरे हजारों थे,
सभी तोङ आए,
बस.....तेरे लिए,
वो गली छोङ आए,
जहां अम्मा बाबू जी,
नित खेल खिलाते थे,
उंगली पकङ कर वो,
चलना सिखाते थे,
वो सभी छोङ आए,
सभी छोङ आए,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।
........... 
प्रीती बङथ्वाल तारिका 
(चित्र साभार गूगल)

Monday, June 28, 2010

कहना है आसान मगर...........





कहना है आसान,
मगर....,
वो शब्द नहीं आते,
दिल दे दिया उन्हें,
यही हम....,
कह नहीं पाते।



दबा कर दातं में,
दुपट्टे का वो कोना,  
लटों को....,
उंगलियों में फिर घुमाते,
छुपाये ख्वाब को..,
न देखे कोई भी..,
वो परदे के पीछे,
चेहरा यूं छुपाते।



न मांगे फिर दुआ...,
कोई हम ख़ुदा से,
बस वो एक ख्वाब ये,
सच सा बना दे,
न बोले हम,
मगर वो, सब समझले,
जो दिल हम दे चुके हैं,
कब का उनको,
वो दिल,
वो कबूल करले...,
चुपके चुपके........चुपके चुपके।
...............

प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल) 

Friday, June 25, 2010

जाने क्या बात है............




जाने क्या बात है.....
दर्द भी,
शीशे सा हुआ जाता है,
हर मोङ पर गर्म होता है,
और...पिघल जाता है....,
तङपाता है.......,
जाने क्या बात है.......।।



मैं तो समझी थी,
कि वो जख़्म,
भर गया होगा,
जो फटा था छाला,
वो भी संभल गया होगा,
पर न जाने...कहां से,
फिर वही, टीस उठी,
छुपी आंखों में कहीं से,
वही चीख उठी,





बङा मुश्किल है,
खुद को ही ये समझाना,
कभी आंखों में आस के,
जलते दिये ना जलाना,
ये तो एक ख़्वाब है,
जो जगा रहता है,
न चाह कर भी....,
दिल में दबा रहता है,
जाने क्या बात है.........।।
...........
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)
 

Monday, June 21, 2010

जिन्दगी चलती रही........




जिन्दगी चलती रही,
ख्वाब कुछ बुनती रही,
कुछ पलों की छांव में,
अपना सफ़र चुनती रही।



पैर में छाले पङे,
पर न डगमग पांव थे,
पथ के हर पत्थर में जैसे,
शबनमों के बाग़ थे।



गरदिशों की चाह में,
हर सफ़र है तय किया,
हर मुश्किल का सामना,
हर क़दम डट कर किया,



है तमन्ना अब के मंजिल,
जिन्द़गी को मिल जाए,
और फिर हो सामना,
खुद का,
खुदी के आईने से........
................
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)
 

Sunday, June 13, 2010

महकते रंग गुल में........






महकते रंग गुल में,
गुलज़ार होते हैं,
मचलते ख़्वाब,
स्वप्न के पार होते हैं,



ना जाने क्यों,
मोहब्बत इम्तहां लेती,
जो भी डूबते इसमें,
वही कुर्बान होते हैं,



बङी खूबी से गिरते हैं,
ये पतझङ के जो पत्ते हैं,
नाम पत्ता रखा इनका,
रंग खो कर भी सवरते हैं,



जाम कोई भी हो साक़ी,
नशा वो दे ही देती है,
और ये इश्क का जलवा,
दवा भी जाम जैसी है,
........... 
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)

Thursday, March 11, 2010

दिल तो.........हम्मममम........






बिलकुल सच्चा है जी,

कुछ मचलता है और,

कुछ फिसलता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कुछ की चाहत में ये,

यूं ही खोता रहे,

न मिले कुछ अगर,

फिर तो रोता रहे,

पाने की चाह में,

यूं बिलखता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कभी मुस्कुराए यूं,

छोटी सी बात में,

कभी शरमाये यूं,

बिन किसी बात में,

अपनी खिलती हंसी में,

महकता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कोई याद पुरानी सी,

आ जाए जो,

और आंख में पानी सा,

भर जाए जो,

एक धुंधला सा सपना,

कह उठता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।
.............
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)

Friday, February 12, 2010

दिल की तमन्ना........






मन ख्वाब का पिटारा

उङता है डोलता है,

मिलती हैं,जबभी पलकें,

गुप-चुप सा, बोलता है।





मैं ख्वाब का समन्दर,

तुम खुल के सांस लेना,

बुनना उस खुशी को,

जिसकी भी हो तमन्ना।





उस मीठी-सी हंसी में,

सुकूं है, कई पलों का,

चलो आज खुल के हंस ले

दिल की है ये तमन्ना।
...........

प्रीती बङथ्वाल तारिका

(चित्र साभार गूगल)

Friday, January 15, 2010

सूर्यग्रहण पर स्टार न्यूज में जीता तर्कशास्त्र, खास बहस में पीछे रहा ज्योतिषशास्त्र


आज सूर्यग्रहण है इस बारे में कल से कई जगह चर्चा चल रही थी। कोई फिक्र कर रहा था तो कोई इस बारे में सोच भी नहीं रहा था। वहीं दूसरी तरफ मेरे पतिदेव इस बात से चिंतित थे कि ग्रहण लगने से पहले ही सब काम कर लिए जाएं और साथ ही भोजन वगैरा भी कर लिया जाए। क्योंकि उनका मानना था कि ऐसी मान्यताएं हैं कि ग्रहण के वक्त खाना नहीं खाते।


ग्रहण के कारण पतिदेव ने बेटे की छुट्टी भी करवा दी कि कहीं स्कूल में वो सूर्य को ना देख ले नंगी आंखों से। ये हिदायत मुझे ठीक भी लगी और मैंने भी बेटे को इज्जात दे दी। 


सुबह प्लान था कि जल्दी उठ कर काम खत्म कर लेंगे। पर पता नहीं हर दिन जल्दी उठने वाले हम आज 8.30 बजे के बाद उठे। जल्दी-जल्दी करते हुए भी 11 बजे तक ही खा पीकर निपट सके।
पतिदेव परेशान हो गए कि ग्रहण लगने के बाद कुछ खाया-पिया है कहीं कुछ होगा तो नहीं। टीवी चल रहा था सभी न्यूज चैनलों पर खबरों नहीं सिर्फ और सिर्फ सूर्यग्रहण चल रहा था। शायद आज और कोई खबर थी ही नहीं। 




सभी चैनलों पर तस्वीरें दिखाई जा रहीं थी। रिमोट को स्टार न्यूज की तरफ किया तो देखा कि वहां पर तीन देवियां, ज्योतिषाचार्य, वैज्ञानिक, तर्कशास्त्री सभी एक ही मंच पर मौजूद थे।

आचार्य अनिल वत्स-ज्योतिषाचार्य, अशोक वासुदेव-दर्शनशास्त्री-अर्थशास्त्री, प्रेम कुमार शर्मा-ज्योतिषी, तीन देवियां, लारा, सनल-तर्कशास्त्री, श्याम मानव-तर्कशास्त्री, सोमेश-अंकशास्त्री और हस्त विद्या, नोटियाल-वैज्ञानिक एक ही मंच पर मौजूद थे।


ज्योतिष कह रहे थे कि ग्रहण के बाद कुछ ना खाएं और बाहर निकलने पर पाबंदी लगाए जिसे तर्कशास्त्री और वैज्ञानिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने की बात कह कर नाकार रहे थे। मुझे देख कर तो बहुत ही अच्छा लगा। मेरे मियां जी की तो बोलती बंद हो गई कि अब क्या कहें। 

कुछ ना खाएं-ज्योतिषी। हम खाएंगे भी और पीएंगे भी-वैज्ञानिक। और तर्कशास्त्रियों ने ये कर के भी दिखा दिया। फिर छिड़ी बहस और बहस लंबी चली। 8-9 ज्योतिषियों से भिड़ चुके थे 4 तर्कशास्त्री और वैज्ञानिक। कोई पीछे नहीं हट रहा था। 


फिर तर्कशास्त्री सनल के बारे में भविष्यवाणी करने लगे। और ऐसी बातें बताने लगे जो कि बेवकूफ पूर्ण थी। वो सनल का स्वाभाव बताने लगा जिसे कि मेरे पति ने भी माना कि स्वाभाव के बारे में बताना ज्योतिष नहीं हुआ। फिर सनल की निजी जिंदगी के बारे में कमेंट कर दिया कि उनका वैवाहिक जीवन सही नहीं है। उन्हें पता था कि सनल अपनी वैवाहिक जिंदगी को यहां पर नहीं उछालेंगे पर सनल ने ये चैलेंज भी स्वीकार किया। ज्योतिषों ने बोला कि हम तो सनल की पत्नी से ही जानेंगे। 


ज्योतिषियों ने पत्नी से बात की और पत्नी ने हर दावों को दरकिनार कर दिया। तो नया तर्क गढ़ दिया गया कि पत्नी कैसे मीडिया और लाखों लोगों के सामने इस बात को मानती कि मतभेद है। तो अनिल वत्स की भविष्यवाणी गलत हो गई तो रागनी नाम की दूसरी ज्योतिष ने कहा कि इनका वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा चल रहा है पर पत्नी के अलावा किसी और सुंदर महिला के साथ उनके संबंध हैं। यानी कि चित भी मेरी पट भी मेरी। ज्योतिषियों ने ये साबित कर दिया कि कैसे भी जीतना है। 


फिर एक भारद्वाज ज्योतिष ने फोन पर एक फूहड़ सा सवाल सनल से पूछा कि क्या आपकी मां हैं? हां है। तो सवाल था कि 2008-2009 में उनकी आंखों में तकलीफ हुई या फिर वो चश्मा लगाती हों और घुटने में दर्द रहता होगा। कोई उन ज्योतिष से पूछे, कि 73-74 की उम्र में किस को ये दिक्कत नहीं होगी। ये तो फूहड़ सवाल था। 


आप बहुत अच्छे स्वाभाव और दिल से साफ व्यक्ति हैं पर मन से बहुत कठोर हैं। क्या ये भविष्यवाणी हो गई। नहीं।


स्टार पर 8-9 ज्योतिषों के फूहड़ और बेतुकी बातों को तर्कशास्त्रियों ने अपने तर्कों से फेल कर दिया। और कुछ महिला ज्योतिष तो बिन बात के ताली बजाती। उन्होंने अपने धंधे को चलाने के लिए हर कुतर्क गढ लिए। बस बात इतनी लगी कि सूर्यग्रहण से बात कहीं और ही चली गई।
अभी सूर्यग्रहण खत्म होने में आधा घंटा है। जो सूर्यग्रहण खत्म होने तक कुछ भी नहीं खाने की बात कर रहे थे यानी मेरे पति अब चाय बनाने किचन में जा चुके हैं। चलो, सुधरें तो।



प्रीती बङथ्वाल तारिका
 
(चित्र साभार-गूगल)

Friday, January 1, 2010

चलो चलें एक नये से ख्वाब में.......








 


एक कदम में बढ़ चले हम,
 एक नये से साल में, 
एक नई मंजिल को थामें, 
एक नये से ख्वाब में। 






  
है सफर ये फिर वही, 
जोकि पिछली बार था, 
है मगर अब नई उमंगे, 
एक नयी सी बात में।






  
कुछ कहानी कल की होगी, 
कुछ नई-सी बात होगी, 
कुछ को पिछले ख्वाब की, 
हल्की-फुल्की सी आस होगी।





  
है दुआएं सब को ये, 
नया सफर सुहाना बनें, 
हम तुम्हें और तुम हमें, 
साल मुबारक कहते रहें। 


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प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)


 आप सभी को नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं......