Thursday, March 11, 2010

दिल तो.........हम्मममम........






बिलकुल सच्चा है जी,

कुछ मचलता है और,

कुछ फिसलता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कुछ की चाहत में ये,

यूं ही खोता रहे,

न मिले कुछ अगर,

फिर तो रोता रहे,

पाने की चाह में,

यूं बिलखता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कभी मुस्कुराए यूं,

छोटी सी बात में,

कभी शरमाये यूं,

बिन किसी बात में,

अपनी खिलती हंसी में,

महकता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कोई याद पुरानी सी,

आ जाए जो,

और आंख में पानी सा,

भर जाए जो,

एक धुंधला सा सपना,

कह उठता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।
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प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)