कहना है आसान,
मगर....,
वो शब्द नहीं आते,
दिल दे दिया उन्हें,
यही हम....,
कह नहीं पाते।
दबा कर दातं में,
दुपट्टे का वो कोना,
लटों को....,
उंगलियों में फिर घुमाते,
छुपाये ख्वाब को..,
न देखे कोई भी..,
वो परदे के पीछे,
चेहरा यूं छुपाते।
न मांगे फिर दुआ...,
कोई हम ख़ुदा से,
बस वो एक ख्वाब ये,
सच सा बना दे,
न बोले हम,
मगर वो, सब समझले,
जो दिल हम दे चुके हैं,
कब का उनको,
वो दिल,
वो कबूल करले...,
चुपके चुपके........चुपके चुपके।
...............
प्रीती बङथ्वाल “तारिका”
(चित्र – साभार गूगल)