Tuesday, July 15, 2008

15-जुलाई, जन्मदिन मुबारक़ हो।


बाहें फैलाये नई उम्र का,
सावन है खङा।
अब जागो नींद से,
उम्र का एक साल और बढा़।

कब तक तकिये पर सर रखकर,
तुम बचपन में सोती रहोगी।
कब तक आंगन की माटी से,
नंगे पैरो को धोती रहोगी।
अब यौवन के फूल खिले हैं,
फूलों के रंग से खेलो भी।
अब इठलाती मदमस्त हवा है,
उनके आंचल में झूलो भी।

बारिश की इन बौछारों से,
ऊपर बैठा ‘वो’ बोल रहा।
“तारिका” तुम भी खुश रहना
सीख ही लो,
इन बारिश की बूंदों की तरहा।

प्रीती बङथ्वाल “तारिका”

उन सभी पाठकों को जो मेरी तरह आज जन्मदिन के अवसर पर बधाई के पात्र है। मेरी तरफ से सभी को शुभकामनायें।

16 comments:

  1. बारिश की इन बौछारों से,
    ऊपर बैठा ‘वो’ बोल रहा।
    “तारिका” तुम भी खुश रहना

    जन्मदिन की बधाई बहुत बहुत :)

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  2. जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई. तरीका, तुम अपने नाम की तरह ही चमकती रहना.

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  3. जन्मदिन मुबारक़ हो. बहुत बहुत बधाई.

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  4. wah...janmadin ka is se khubsurat tohfa kya hoga...ek umang bhari kavita...

    janmadin mubarak ho...

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  5. move ahead, very good words!

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  6. janam din mubarak ho.sagar me sab samaya hua hai vo kaise tumahara ho sakta hai.

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  7. janam din mubarak ho.sagar me sab samaya hua hai vo kaise tumahara ho sakta hai.

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  8. जन्म दिन मुबारक हो.
    ---
    सागर

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  9. sse pahle......yah din hamesha tumhaara rahe,har taraf se yah swar gunje...tum khush rahna,
    ..........profile me jo swayam keliye likhaa , wah tumhara sashakt parichay,
    aur tumhaari kavita tumhaari tarah bahut pyaari

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  10. बधाई हो बधाई जनमदिन की तुमको,

    ब्लागजगत में चमकें दमकें, इन्हीं कामनाओं के साथ

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  11. जन्‍मदिन की बधाई हो बधाई

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  12. सबसे पहले जन्मदिन मुबारक हो। बहुत बहुत बधाई। अच्छा लिखती हैं।
    कब तक तकिये पर सर रखकर,
    तुम बचपन में सोती रहोगी।
    कब तक आंगन की माटी से,
    नंगे पैरो को धोती रहोगी।

    आपकी सारी पोस्ट पढी । सभी में कुछ ना कुछ खास है। लिखते रहीऐ।

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  13. जन्मदिन की देर से ही सही एक बार फ़िर से बधाई!

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