बाहें फैलाये नई उम्र का,
सावन है खङा।
अब जागो नींद से,
उम्र का एक साल और बढा़।
कब तक तकिये पर सर रखकर,
तुम बचपन में सोती रहोगी।
कब तक आंगन की माटी से,
नंगे पैरो को धोती रहोगी।
अब यौवन के फूल खिले हैं,
फूलों के रंग से खेलो भी।
अब इठलाती मदमस्त हवा है,
उनके आंचल में झूलो भी।
बारिश की इन बौछारों से,
ऊपर बैठा ‘वो’ बोल रहा।
“तारिका” तुम भी खुश रहना
सीख ही लो,
इन बारिश की बूंदों की तरहा।
प्रीती बङथ्वाल “तारिका”
उन सभी पाठकों को जो मेरी तरह आज जन्मदिन के अवसर पर बधाई के पात्र है। मेरी तरफ से सभी को शुभकामनायें।
सावन है खङा।
अब जागो नींद से,
उम्र का एक साल और बढा़।
कब तक तकिये पर सर रखकर,
तुम बचपन में सोती रहोगी।
कब तक आंगन की माटी से,
नंगे पैरो को धोती रहोगी।
अब यौवन के फूल खिले हैं,
फूलों के रंग से खेलो भी।
अब इठलाती मदमस्त हवा है,
उनके आंचल में झूलो भी।
बारिश की इन बौछारों से,
ऊपर बैठा ‘वो’ बोल रहा।
“तारिका” तुम भी खुश रहना
सीख ही लो,
इन बारिश की बूंदों की तरहा।
प्रीती बङथ्वाल “तारिका”
उन सभी पाठकों को जो मेरी तरह आज जन्मदिन के अवसर पर बधाई के पात्र है। मेरी तरफ से सभी को शुभकामनायें।
बारिश की इन बौछारों से,
ReplyDeleteऊपर बैठा ‘वो’ बोल रहा।
“तारिका” तुम भी खुश रहना
जन्मदिन की बधाई बहुत बहुत :)
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई. तरीका, तुम अपने नाम की तरह ही चमकती रहना.
ReplyDeleteजन्मदिन मुबारक़ हो. बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeletewah...janmadin ka is se khubsurat tohfa kya hoga...ek umang bhari kavita...
ReplyDeletejanmadin mubarak ho...
move ahead, very good words!
ReplyDeletejanam din mubarak ho.sagar me sab samaya hua hai vo kaise tumahara ho sakta hai.
ReplyDeleteanam nahi ho sakte
ReplyDeletejanam din mubarak ho.sagar me sab samaya hua hai vo kaise tumahara ho sakta hai.
ReplyDeleteजन्म दिन मुबारक हो.
ReplyDelete---
सागर
sse pahle......yah din hamesha tumhaara rahe,har taraf se yah swar gunje...tum khush rahna,
ReplyDelete..........profile me jo swayam keliye likhaa , wah tumhara sashakt parichay,
aur tumhaari kavita tumhaari tarah bahut pyaari
बधाई हो बधाई जनमदिन की तुमको,
ReplyDeleteब्लागजगत में चमकें दमकें, इन्हीं कामनाओं के साथ
जन्मदिन की बधाई हो बधाई
ReplyDeleteसबसे पहले जन्मदिन मुबारक हो। बहुत बहुत बधाई। अच्छा लिखती हैं।
ReplyDeleteकब तक तकिये पर सर रखकर,
तुम बचपन में सोती रहोगी।
कब तक आंगन की माटी से,
नंगे पैरो को धोती रहोगी।
आपकी सारी पोस्ट पढी । सभी में कुछ ना कुछ खास है। लिखते रहीऐ।
जन्मदिन की देर से ही सही एक बार फ़िर से बधाई!
ReplyDeletehi
ReplyDeleteI am very-2 Happy join with team
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