Friday, July 18, 2008

भुलाये न गए.......



मुझसे मेरी तन्हाइयों के,
खाब भी भुलाये न गए,
दिल में जो ज़ख्म थे,
आखों से छुपाए न गए,
महफिलों में रहकर भी,
जिन्हें भूलना चाहा,
यादें ऐसी थी कि,
जो भूल कर भी भुलाये न गए।
टीस के मोती बन गये हैं,
दिल के आस-पास,
अब वो तूफान उबल रहे हैं,
दिल के आस-पास,
जिनकी रूहों को हमने,
तारीक़ में छुपाया,
मगर फिर भी वो,
हमसे छुपाये न गए,
यादें ऐसी थी कि,
जो भूल कर भी भुलाये न गए।


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प्रीती बङथ्वाल "तारीका"

9 comments:

  1. dil me jo zakhm the......wah kya baat hai

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  2. kya baat hai, dil ke jakhm chupaye na gaye....

    Isn't it Barthwal basically from Uttaranchal? Am I right.

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  3. बहुत सुन्दर!!


    मुझसे मेरी तन्हाइयों के,
    खाब भी भुलाये न गए,
    दिल में जो ज़ख्म थे,
    आखों से छुपाए न गए,

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  4. वाह! बहुत सुन्दर.बहुत बधाई.

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  5. ab ham bhee na bhool payenge

    behatareen

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  6. जिनकी रूहों को हमने,
    तारीक़ में छुपाया,
    मगर फिर भी वो,
    हमसे छुपाये न गए,

    बेहद खूबसूरत....

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  7. वाह! क्या बात है! बढ़िया कविता!

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