रूठी इन तकदीरों में,
हंसी भी मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
कुछ खुले पन्ने थे,
तकदीर के रास्ते में,
जो जल गये थे शायद,
किसी हादसे में।
आंसुओं की बारिश थी,
पलकों की परछाइयों में,
फिर वही ख्वाहिश थी,
मेरी तन्हाइयों में।
शायद वो हवा फिर आएगी,
जो मेरी तन्हाइयों के साथ,
मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
…………
हंसी भी मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
कुछ खुले पन्ने थे,
तकदीर के रास्ते में,
जो जल गये थे शायद,
किसी हादसे में।
आंसुओं की बारिश थी,
पलकों की परछाइयों में,
फिर वही ख्वाहिश थी,
मेरी तन्हाइयों में।
शायद वो हवा फिर आएगी,
जो मेरी तन्हाइयों के साथ,
मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
…………
प्रीती बङथ्वाल “तारिका”
बहुत खूब लिखा है।
ReplyDeleteकुछ खुले पन्ने थे,
ReplyDeleteतकदीर के रास्ते में,
जो जल गये थे शायद,
किसी हादसे में।
बहुत खूब लिखा है आपने।
जिदंगी चलने का नाम हैं यू ही चला चल
कोई साथ हो या ना हो बैशक
एक आश के सहारे ही चला चल
मिल जाऐगी मंजिल किसी राह चलते चलते जरा होंसला तो रख
jis sundar bhavna se apne likha hai, usse to lagta hai jeevan beetne se pahle apko wo khushi zurur mil jayegi.. all the best
ReplyDeleteशायद वो हवा फिर आएगी,
ReplyDeleteजो मेरी तन्हाइयों के साथ,
मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
बहुत खूब सुंदर रचना ब्लाग भी अच्छा लगा बधाई हो आपको
रूठी इन तकदीरों में,
ReplyDeleteहंसी भी मुस्कुरायेगी,
इसी इंतजार में शायद,
जिन्दगी बीत जाएगी।
-बेहद खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!
अभिवादन , प्रीती जी
ReplyDeleteसबसे पहले तो एक बहुत ही शानदार और समर्थ ब्लॉग और सुंदर कविता के लिए बधाई
मैने आपके सारे ब्लॉग्स पे आपका उत्कृष्ट लेखन देखा
आपकी सक्रियता के लिए एक बार फिर बधाई
आज मैने भी अपने ब्लॉग पे एक रचना पोस्ट की है
उसकी चार पंक्तियाँ भेज रहा हूँ
" शर्म की बात होगी हमारे लिए
गीत-कविता का मस्तक अगर झुक गया
शर्म की बात होगी हमारे लिए
चुटकुलों से अगर जंग हारी ग़ज़ल "
(शेष रचना व हिन्दी की उत्कृष्ट कविताओं ग़ज़लों के लिए देखें )
http;//mainsamayhun.blogspot.com
परिचय का एक मुक्तक और देखें
हमारी कोशिशें हैं इस, अंधेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस, धरा को जगमगाने की
हमारी आँख ने काफी, बड़ा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक, नया सूरज उगाने की ..........
डॉ उदय 'मणि'
(अच्छा लगेगा यदि मेरा ब्लॉग सक्षम लगने पर उसे भी आप अपनी ब्लॉग लिस्ट मे शामिल करें -धन्यवाद )