भाग ३- ‘अपनों की कशिश’
“ दिल उजले पाक फूलों से, भर दिया था किसने,
उस दिन, हमारी आखों से अश्क बह रहे थे ”।
दरवाजे की घण्टी ने अचानक मुझे अपने ही तसव्वुर से जगाया। होश में आते ही लगा क्या ये ख्वाब है, नहीं..... मैं दरवाजे की और भागी। दरवाजा खोला तो हक़ीकत का अंदाजा हो गया। सब दरवाजे पर थे, अरे....ये सपना नही, सच है । ये शब्द मन ही मन, मैं बार-बार अपने आप से कहे जा रही हूं। काफी दिनों के बाद सबसे मिलना हुआ और मिलते ही दिल बाग-बाग हो गया, मेरे लिए मेरा घर जन्नत हो गया। समझ नही आ रहा है कि वो मेरी खुशी में शामिल हैं या मैं अपनी खुशी को उनके साथ देख रही हूं।
आज वो दिन है जब पहली बार मेरे चांद का अपने ननिहाल से स्पर्श हुआ। मेरा बेटा अपने ननिहाल की गोद में खेल रहा है। एक-एक कर सबने उसे अपनी गोद में लेकर खिलाया। ये सब देखकर मन बहुत खुश हो रहा है।
अब वक्त हो गया, फिर से अपनों से जुदा होने का। दिल में फिर एक टीस उठी जो उन्हें जाते हुए देख आखों से बह निकली। मेरे अपने फिर से दूर जाते हुए मेरी आखों से ओझल हो गये। आज रात आखों में नींद का आना तो जैसे वर्जित है। सारी रात आंखों में पूरे दिन की कहानी चलती रही।
अब अपने से ज्यादा अपने बेटे के बारे में सोचती हूं। उसे भी अपने हिस्से की सारी खुशियां पाने का हक़ है। यही सोच कर मेने अपने हमसफर को अपनी एक खव्वाहिश के बारे में बताया जिसे सुन वो राजी भी हो गए। मेरी हालत को समझते हुए वो मान गए। हमने, नाना-नानी से नाती को मिलाने का प्लान बनाया, शायद उसे देख कर ही उनका मन कुछ स्थिर हो। सिर्फ नाना-नानी ही तो रह गए हैं जिन्होंने मेरी आंख के तारे को अभी तक नहीं देखा है। सिर्फ वो ही तो नाती से मिलने नही आए हैं। हमने सोचा हम ही अपने ढाई महिने के बेटे को लेकर उनसे मिलने चले जाए। लेकिन मन काफी कशमकश में था और काफी सवालों से घिर गया था। वो हमें आने देंगे या नहीं, हमसे मिलेगें भी या.....? ऐसे ही कई सवाल हर समय जहन में घूम रहे है और दिल-दिमाग को परेशान कर रहे हैं।
“कुछ हसरतें पूरी हुई, कुछ हसरतों के बाद,
कुछ का होना अभी बाकी है, मैं इंतजार में हूं......”
प्रीती बड़थ्वाल
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Himmat karke jaiye..Maa Baap ka dil hai aur vaise bhi mool se jyada sood pyara hota hai..Nati ko dekhte hi pyar umad padega. Shubhkamnayen.
ReplyDeletesapne saakar honge,mujhe vishwaas hai, aage badho to
ReplyDeleteसुन्दर!
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