Saturday, August 2, 2008

ये ख्वाब...मेरे......

मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब,
जो मेरी आंखों में, हैं अभी,
बहेंगे उस तरह ही,
मन के सागर में,
बहते हैं, जैसे अभी,

ओंस की बूंदों की आंखों से,
नमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,

हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
जो दिखेंगे नहीं,
मगर महसूस होंगे उसे,
जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....

.............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

16 comments:

  1. मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब,
    जो मेरी आंखों में, हैं अभी,

    behatarin rachna....

    ReplyDelete
  2. प्रीती जी
    मन के भाव बहुत सुन्दरता से पिरोये हैं आपने शब्दों में...एक सार्थक रचना..दिल से लिखी और दिल तक पहुँचती हुई....बेहतरीन.
    नीरज

    ReplyDelete
  3. हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
    जो दिखेंगे नहीं,
    मगर महसूस होंगे उसे,
    जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
    ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
    .............

    बहुत ही बेहतरीन ..दिल को छु गया यह

    ReplyDelete
  4. ओंस की बूंदों की आंखों से,
    नमी को चुराकर,
    सांस लेगे, वो फिरसे,
    इस ज़मी और इन वादियों में,

    बहुत खूब प्रीती जी आप बहुत ही गहरी सोच के धनी हैं बेहतरीन

    ReplyDelete
  5. हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
    जो दिखेंगे नहीं,
    मगर महसूस होंगे उसे,
    जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
    ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....

    गंभीरता और गहराई दोनों ही इस रचना में है, बधाई स्वीकारें।


    ***राजीव रंजन प्रसाद

    www.rajeevnhpc.blogspot.com

    ReplyDelete
  6. सुंदर....अति उत्तम।।।।

    ReplyDelete
  7. जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
    ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....

    सुन्दरतम अभिव्यक्ति ! बधाई
    और शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  8. अति सुंदर कविता !
    बधाई !

    ReplyDelete
  9. अति सुंदर कविता !
    बधाई !

    ReplyDelete
  10. कविता में अच्‍छे भवों का दर्शन है

    ReplyDelete
  11. प्रीती जी , आप आई हमारे ब्लॉग पर और हमें एक सुंदर भावनात्मक रचना पढने को मिली,शुक्रिया आपका......

    ओंस की बूंदों की आंखों से,
    नमी को चुराकर,
    सांस लेगे, वो फिरसे,
    इस ज़मी और इन वादियों में,

    प्रतीकात्मक और गहराई से भरा लिखा हे आपने.....

    ReplyDelete
  12. मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब...
    सुंदर प्रस्तुति है.

    ReplyDelete
  13. यह कविता अगर दुआ है तो अमीन!

    ReplyDelete
  14. एक सिलसिला ख्वाबों का ........
    एक विरासत ख्वाब देखते जाने की........
    और उम्मीद विरासत के कायम रहने की


    सुंदर भाव हैं. बधाई हो

    ReplyDelete

मेरी रचना पर आपकी राय