मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब,
जो मेरी आंखों में, हैं अभी,
बहेंगे उस तरह ही,
मन के सागर में,
बहते हैं, जैसे अभी,
ओंस की बूंदों की आंखों से,
नमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,
हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
जो दिखेंगे नहीं,
मगर महसूस होंगे उसे,
जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
.............
जो मेरी आंखों में, हैं अभी,
बहेंगे उस तरह ही,
मन के सागर में,
बहते हैं, जैसे अभी,
ओंस की बूंदों की आंखों से,
नमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,
हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
जो दिखेंगे नहीं,
मगर महसूस होंगे उसे,
जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
.............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब,
ReplyDeleteजो मेरी आंखों में, हैं अभी,
behatarin rachna....
प्रीती जी
ReplyDeleteमन के भाव बहुत सुन्दरता से पिरोये हैं आपने शब्दों में...एक सार्थक रचना..दिल से लिखी और दिल तक पहुँचती हुई....बेहतरीन.
नीरज
हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
ReplyDeleteजो दिखेंगे नहीं,
मगर महसूस होंगे उसे,
जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
.............
बहुत ही बेहतरीन ..दिल को छु गया यह
ओंस की बूंदों की आंखों से,
ReplyDeleteनमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,
बहुत खूब प्रीती जी आप बहुत ही गहरी सोच के धनी हैं बेहतरीन
हर जगह रहेंगे ये ख्वाब,
ReplyDeleteजो दिखेंगे नहीं,
मगर महसूस होंगे उसे,
जो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
गंभीरता और गहराई दोनों ही इस रचना में है, बधाई स्वीकारें।
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
सुंदर....अति उत्तम।।।।
ReplyDeletebhut sundar rachana. badhai ho.
ReplyDeletebhut badhiya. likhati rhe.
ReplyDeleteजो चाहेगा इन्हें,मेरी ही तरह,
ReplyDeleteये ख्वाब......, मेरे बाद भी होंगे.....
सुन्दरतम अभिव्यक्ति ! बधाई
और शुभकामनाएं !
अति सुंदर कविता !
ReplyDeleteबधाई !
अति सुंदर कविता !
ReplyDeleteबधाई !
कविता में अच्छे भवों का दर्शन है
ReplyDeleteप्रीती जी , आप आई हमारे ब्लॉग पर और हमें एक सुंदर भावनात्मक रचना पढने को मिली,शुक्रिया आपका......
ReplyDeleteओंस की बूंदों की आंखों से,
नमी को चुराकर,
सांस लेगे, वो फिरसे,
इस ज़मी और इन वादियों में,
प्रतीकात्मक और गहराई से भरा लिखा हे आपने.....
मेरे बाद भी होंगे ये ख्वाब...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति है.
यह कविता अगर दुआ है तो अमीन!
ReplyDeleteएक सिलसिला ख्वाबों का ........
ReplyDeleteएक विरासत ख्वाब देखते जाने की........
और उम्मीद विरासत के कायम रहने की
सुंदर भाव हैं. बधाई हो