कुछ तो बात होगी,
जो, खामोश तन्हाईयां हैं,
मेरे आगोश में जाने,
ये किसकी,
बिलखती परछाईयां हैं।
जो मेरे आंसूओं को,
अपनी यादों में डुबो रही हैं,
शायद, वो भी मेरी तन्हाईयों में,
मेरे साथ रो रहीं हैं।
जिसकी सिसकियां मेरे दर्द की,
आवाज़ बन गई हैं,
जिसकी मुस्कुराहट मेरे आंसुओं का,
टूटा साज़ बन रही हैं।
जाने ये कौन-सी तन्हाईयां हैं,
मेरे आगोश में जाने,
ये किसकी,
बिलखती परछाईयां हैं।
............
जो, खामोश तन्हाईयां हैं,
मेरे आगोश में जाने,
ये किसकी,
बिलखती परछाईयां हैं।
जो मेरे आंसूओं को,
अपनी यादों में डुबो रही हैं,
शायद, वो भी मेरी तन्हाईयों में,
मेरे साथ रो रहीं हैं।
जिसकी सिसकियां मेरे दर्द की,
आवाज़ बन गई हैं,
जिसकी मुस्कुराहट मेरे आंसुओं का,
टूटा साज़ बन रही हैं।
जाने ये कौन-सी तन्हाईयां हैं,
मेरे आगोश में जाने,
ये किसकी,
बिलखती परछाईयां हैं।
............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
प्रीति जी,
ReplyDeleteबेहद प्रशंसनीय रचना है, बधाई स्वीकारें..
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com
उम्दा रचना...
ReplyDeletegood one
ReplyDeleteachhi rachna,badhai aapko
ReplyDeleteमेरे आगोश में जाने,
ReplyDeleteये किसकी,
बिलखती परछाईयां हैं।
गहरी टीस है !
वाह!!
ReplyDeleteबहुत खूब!!
बहुत अच्छे!
ReplyDeleteबहुत मार्मिक रचना है...बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण.
ReplyDeleteनीरज
एक मार्मिक कविता ओर बहुत ही सुन्दर भाव, धन्यवाद
ReplyDeleteparchayiyan, tanhayiya..
ReplyDeleteachchi rachanaa hai..dard ki..
kuch to baat hogi jo kahmosh tanhiya, mere agosh main ye kiski bilakhti parchiya hai,
ReplyDeletewah wah very good
very good preeti ji
keep it up