हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे,
ये समन्दर बहुत गहरा है,
तुम इसमें डूब जाओगे।
इस समन्दर में कहीं भी,
साहिल नहीं मिलेगा,
सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे।
सिर्फ आंसू ही पाओगे,
ये समन्दर बहुत गहरा है,
तुम इसमें डूब जाओगे।
इस समन्दर में कहीं भी,
साहिल नहीं मिलेगा,
सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे।
...........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने, ऎसी दोस्ती ही सच्ची दोस्ती होती हे,जब सच्चा दोस्त हो्
ReplyDeleteतो फ़िर साहिल या ,मांझी की फ़िक्र किसे, फ़िर आंसू बटं जाते हे
धन्यवाद
Probably I can say with this blog make, more some interesting topics.
ReplyDeleteDeewanon ka kya hai wo to kisi bhi gehrayi mein doobne ko taiyaar baithe rehte hain. Aaapki in panktiyon ko padhkar janaab Amzad Islam Amzad ka ye sher yaad aa gaya
ReplyDeleteJaati hai kisi jheel ki ghehrai kahaan tak
Ankhoon mein teri doob ke dekhenge kisi din
achhi hai aur dard bhi hai isme.. umeed hai agli baar kuch positive ebergy wali bhi likhengi aap.. :)
ReplyDeletebahut badhai
इस समन्दर में कहीं भी,
ReplyDeleteसाहिल नहीं मिलेगा,
सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे।
दोस्त वही तो है जो आँसू मोती समझ ले..
***राजीव रंजन प्रसाद
अदभुत । अति सुन्दर।
ReplyDeleteDil se nikli huyi kavita seedhe dil men utar gayi.
ReplyDeleteहमसे दोस्ती न करना,
ReplyDeleteसिर्फ आंसू ही पाओगे।
गहरा दर्द है ! भाव भी गहरे हैं !
बहुत बढिया जी !
अच्छे भाव
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
================
डा.चन्द्रकुमार जैन
प्रीती जी बहुत बढ़िया, क्या खूब लिखा है...सुंदर...अति उत्तम।।।।।।।
ReplyDeleteexcellent
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं अद्भुत रचना. बधाइ.
ReplyDeleteसिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
ReplyDeleteजिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
उपरोक्त पंक्तियाँ एक ऐसा सच है जिसका एहसास हर किसी को जिंदगी में कभी न कभी तो होता ही है.
शानदार प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
चन्द्र मोहन गुप्त
शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
ReplyDeleteउनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों
स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो
achhi kavita
हमसे दोस्ती न करना,
ReplyDeleteसिर्फ आंसू ही पाओगे,
ये समन्दर बहुत गहरा है,
तुम इसमें डूब जाओगे।
बहुत बढिया .
bahut bahut sundar kavita,Inti achchi baat Aapne itne kam shabdo me kahi hain,Shubhkamnaye
ReplyDeleteदोस्ती की एक मुस्कान,
ReplyDeleteसुखा देगी सारे आंसुओं को,
लब मुस्कुराएंगे,
अन्तर खिलखिलायेगा,
स्वागत करो दोस्त का.
to bhi hum dosti karne ko taiyar hain.mujhse dosti karoge??
ReplyDelete:-)
आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं...
ReplyDeleteजय-हिन्द!
ये माना जीवन ने तुम्हे तोङ डाला है
ReplyDeleteपलकों के पीछे छुपा हर आंसू तुमने निचोङ डाला है
मगर जिन्दगी मे बहुत कुछ और है
जो शायद तुमने अभी देखा नही है
कुछ ऐसे दोस्त है जिन्हे तुमने परखा नही है
पलकों से बिछुङता हर मोती बहुत कीमती होता है
उन्हे यूं जाया मत कीजिये
होठों पर मचलती सतरगीं मुस्कान सिर्फ़ तुम्हारी है
उसे यूं पराया मत कीजिये
उदासियों के दायरे से बाहर
कभी कदम बढा कर तो देखो
इस खूबसूरत जहां को
कभी अपना बना कर तो देखो
रात के अंधेरे मे टिमटिमाता वो छोटा सा दीपक
भर देगा तुम्हारा जीवन रुपहली चांदनी से
कभी उसे अपने जीवन मे लाकर तो देखो
जी हम आँसू पाने को बेताब हैं।
ReplyDeleteएक अच्छा एहसास …
sundar rachana hai preeti jee badhai............Arsh
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रीती, पहली बार आपको पढ़ा...बहुत अच्छा लगा...इंशाल्लाह अब आना लगा रहेगा.
ReplyDeleteBAHUT KUHB PREETI JI,1ST TIME MEIN HI APNE DIL JEET LIYA.
ReplyDeleteVERY NICE KEEP IT UP
बहुत बढि़या कविता
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
हमसे दोस्ती न करना,
ReplyDeleteसिर्फ आंसू ही पाओगे।
"mind blowing great"
Regards
bhut hi khubsurat rachana. badhai ho.
ReplyDeleteshham kijiyega late tipani dene ke liye. tabiyat kharab hone ki vajah se samay par tipani nahi de saki.
bahut acha likha hai...
ReplyDeletebeshak humen ansun hi milen..
hum to aap se dosti karenge hi..
umda..
likhti rahein..
प्रीती जी
ReplyDeleteआंसू ही सब कुछ होता है । जिसके पास यह आंसू होता है उसके पास तो शायद वह सब कुछ होता है जो औरों के पास नहीं होता । बहुत ही सुंदर कविता लिखी आपनें । धन्यवाद् !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं |
ReplyDeleteहिन्दी भाषा में उपलब्ध सूचनाओं व सेवाओं की जानकारी :
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एक बार अवश्य जांचें |
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteek achhi suruvat yeh hai ki ladkiyo
ReplyDeleteaur mahilao ke blog ka purush samaj purjor swagat karta hai .kavita ki mujhe jyda samajh to nahi hai per lagta hai is mamle me sarweshver dayal saxena aur dhomil tak piche hai.hum bhi aap ka kavi ke roop me swagat karte hai.
ambrish kumar