Thursday, August 14, 2008

ये समन्दर बहुत गहरा है।

हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे,
ये समन्दर बहुत गहरा है,
तुम इसमें डूब जाओगे।

इस समन्दर में कहीं भी,
साहिल नहीं मिलेगा,
सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
हमसे दोस्ती न करना,
सिर्फ आंसू ही पाओगे।
...........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

32 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने, ऎसी दोस्ती ही सच्ची दोस्ती होती हे,जब सच्चा दोस्त हो्
    तो फ़िर साहिल या ,मांझी की फ़िक्र किसे, फ़िर आंसू बटं जाते हे
    धन्यवाद

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  2. Probably I can say with this blog make, more some interesting topics.

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  3. Deewanon ka kya hai wo to kisi bhi gehrayi mein doobne ko taiyaar baithe rehte hain. Aaapki in panktiyon ko padhkar janaab Amzad Islam Amzad ka ye sher yaad aa gaya

    Jaati hai kisi jheel ki ghehrai kahaan tak
    Ankhoon mein teri doob ke dekhenge kisi din

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  4. achhi hai aur dard bhi hai isme.. umeed hai agli baar kuch positive ebergy wali bhi likhengi aap.. :)

    bahut badhai

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  5. इस समन्दर में कहीं भी,
    साहिल नहीं मिलेगा,
    सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
    जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
    हमसे दोस्ती न करना,
    सिर्फ आंसू ही पाओगे।

    दोस्त वही तो है जो आँसू मोती समझ ले..


    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  6. अदभुत । अति सुन्दर।

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  7. Dil se nikli huyi kavita seedhe dil men utar gayi.

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  8. हमसे दोस्ती न करना,
    सिर्फ आंसू ही पाओगे।


    गहरा दर्द है ! भाव भी गहरे हैं !
    बहुत बढिया जी !

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  9. अच्छे भाव
    सुंदर अभिव्यक्ति
    ================
    डा.चन्द्रकुमार जैन

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  10. प्रीती जी बहुत बढ़िया, क्या खूब लिखा है...सुंदर...अति उत्तम।।।।।।।

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  11. बहुत सुन्दर एवं अद्भुत रचना. बधाइ.

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  12. सिर्फ टूटी हुई कश्ती होगी,
    जिसमें मांझी को नहीं पाओगे।
    उपरोक्त पंक्तियाँ एक ऐसा सच है जिसका एहसास हर किसी को जिंदगी में कभी न कभी तो होता ही है.
    शानदार प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  13. शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
    उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

    स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो

    achhi kavita

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  14. हमसे दोस्ती न करना,
    सिर्फ आंसू ही पाओगे,
    ये समन्दर बहुत गहरा है,
    तुम इसमें डूब जाओगे।
    बहुत बढिया .

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  15. bahut bahut sundar kavita,Inti achchi baat Aapne itne kam shabdo me kahi hain,Shubhkamnaye

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  16. दोस्ती की एक मुस्कान,
    सुखा देगी सारे आंसुओं को,
    लब मुस्कुराएंगे,
    अन्तर खिलखिलायेगा,
    स्वागत करो दोस्त का.

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  17. to bhi hum dosti karne ko taiyar hain.mujhse dosti karoge??
    :-)

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  18. आपको व आपके पूरे परिवार को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं...
    जय-हिन्द!

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  19. ये माना जीवन ने तुम्हे तोङ डाला है
    पलकों के पीछे छुपा हर आंसू तुमने निचोङ डाला है
    मगर जिन्दगी मे बहुत कुछ और है
    जो शायद तुमने अभी देखा नही है
    कुछ ऐसे दोस्त है जिन्हे तुमने परखा नही है
    पलकों से बिछुङता हर मोती बहुत कीमती होता है
    उन्हे यूं जाया मत कीजिये
    होठों पर मचलती सतरगीं मुस्कान सिर्फ़ तुम्हारी है
    उसे यूं पराया मत कीजिये
    उदासियों के दायरे से बाहर
    कभी कदम बढा कर तो देखो
    इस खूबसूरत जहां को
    कभी अपना बना कर तो देखो
    रात के अंधेरे मे टिमटिमाता वो छोटा सा दीपक
    भर देगा तुम्हारा जीवन रुपहली चांदनी से
    कभी उसे अपने जीवन मे लाकर तो देखो

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  20. जी हम आँसू पाने को बेताब हैं।

    एक अच्छा एहसास …

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  21. sundar rachana hai preeti jee badhai............Arsh

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  22. बहुत सुंदर प्रीती, पहली बार आपको पढ़ा...बहुत अच्छा लगा...इंशाल्लाह अब आना लगा रहेगा.

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  23. BAHUT KUHB PREETI JI,1ST TIME MEIN HI APNE DIL JEET LIYA.

    VERY NICE KEEP IT UP

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  24. बहुत बढि़या कविता
    दीपक भारतदीप

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  25. हमसे दोस्ती न करना,
    सिर्फ आंसू ही पाओगे।
    "mind blowing great"
    Regards

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  26. bhut hi khubsurat rachana. badhai ho.
    shham kijiyega late tipani dene ke liye. tabiyat kharab hone ki vajah se samay par tipani nahi de saki.

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  27. bahut acha likha hai...
    beshak humen ansun hi milen..
    hum to aap se dosti karenge hi..
    umda..
    likhti rahein..

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  28. प्रीती जी
    आंसू ही सब कुछ होता है । जिसके पास यह आंसू होता है उसके पास तो शायद वह सब कुछ होता है जो औरों के पास नहीं होता । बहुत ही सुंदर कविता लिखी आपनें । धन्यवाद् !

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  29. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं |

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    एक बार अवश्य जांचें |

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  30. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

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  31. ek achhi suruvat yeh hai ki ladkiyo
    aur mahilao ke blog ka purush samaj purjor swagat karta hai .kavita ki mujhe jyda samajh to nahi hai per lagta hai is mamle me sarweshver dayal saxena aur dhomil tak piche hai.hum bhi aap ka kavi ke roop me swagat karte hai.
    ambrish kumar

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