कुछ ख्वाब,
जो एक उम्मीद के सहारे थे,
वो, जो अपनी मंजिल से,
कुछ दूर, किनारे पे थे,
शायद इस इंतज़ार में थे,
कि उनको भी कोई सहारा देगा,
अपनी कश्ती से,
उनको भी किनारा देगा,
न मालूम था,
कभी न खत्म होने वाला,
ये इंतज़ार होगा,
ये इंतज़ार एक बार नहीं,
बार-बार होगा,
जब तक कि ये आंसू थम न जाए,
जब तक कि ये सांसे रुक न जाए,
सिर्फ इंतज़ार....इंतज़ार......
इंतज़ार होगा।
...............
जो एक उम्मीद के सहारे थे,
वो, जो अपनी मंजिल से,
कुछ दूर, किनारे पे थे,
शायद इस इंतज़ार में थे,
कि उनको भी कोई सहारा देगा,
अपनी कश्ती से,
उनको भी किनारा देगा,
न मालूम था,
कभी न खत्म होने वाला,
ये इंतज़ार होगा,
ये इंतज़ार एक बार नहीं,
बार-बार होगा,
जब तक कि ये आंसू थम न जाए,
जब तक कि ये सांसे रुक न जाए,
सिर्फ इंतज़ार....इंतज़ार......
इंतज़ार होगा।
...............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
Visite meu blog.
ReplyDeletewww.vivendoaoextremo.blogspot.com
Beijos e abraços!
Thank you, poem ,not in meter , a random is quite capable of loading thoughts. keep it up to write more
ReplyDeleteKshetrapal Sharma
बहुत अच्छा लिखा है, लिखते रहें
ReplyDeleteप्रीति जी, बधाई.
ReplyDeleteआपकी भावाभिव्यक्ति प्रशंसनीय है.
निरन्तरता बनाए रखें...
bahut sunder,badhai aapko,ab aapko padhne ka intezaar rahega,intezaar rahega.............
ReplyDeleteजब तक कि ये आंसू थम न जाए,
ReplyDeleteजब तक कि ये सांसे रुक न जाए,
सिर्फ इंतज़ार....इंतज़ार......
इंतज़ार होगा।
-बहुत भावपूर्ण रचना-बधाई.
इंतजार इंतजार .............इंतजार।
ReplyDeleteअति सुन्दर।
More thanks for emotional writing. Priri ji life is struggle, please accept it. You should write continue. You are a great writer.
ReplyDeleteउम्दा..
ReplyDeleteबेहतरीन...
बहुत भावपूर्ण रचना
तारिका जी दुआ है कि ऐसा कोई इन्तिज़ार जो अगर आपको है तो वह जल्द ही ख़त्म हो जाये!
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