तुम मेरे पास ही हो,
ये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
जब भी डरता हूं,
तुम्हारी गोद में आ जाता हूं,
और अपनी आंखों को,
नन्हें हाथों से बंद कर लेता हूं,
ये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
जब भी डरता हूं,
तुम्हारी गोद में आ जाता हूं,
और अपनी आंखों को,
नन्हें हाथों से बंद कर लेता हूं,
मेरा रोना, तुम्हें,
बेचैन-सा कर देता है,
और एक शरारत,
मुस्कान-सी भर देता है,
बेचैन-सा कर देता है,
और एक शरारत,
मुस्कान-सी भर देता है,
मेरी तोतली बोली को,
बङे ध्यान से सुनते हो,
और बेतुके सवालों का,
तुम जवाब भी देते हो,
बङे ध्यान से सुनते हो,
और बेतुके सवालों का,
तुम जवाब भी देते हो,
तुम मेरे पास ही हो,
ये एहसास है मुझे।
.............
ये एहसास है मुझे।
.............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
खूबसूरत अहसास से भरी कविता,अच्छा लिखा है आपने,
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
विषेशकर यह पंक्तियाँ
प्रीति जी
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर शायद पहली बार आई. इतनी सुंदर रचनाये मैंने कैसे अब तक नही पढ़ी. क्षमा चाहती हूँ. परन्तु आगे बनी रहूगी. वाकई बहुत सुंदर लिखती है आप. अति उत्तम रचना है ये.
जब भी डरता हूं,
ReplyDeleteतुम्हारी गोद में आ जाता हूं,
और अपनी आंखों को,
नन्हें हाथों से बंद कर लेता हूं,
good one preetiji continue writing
बहुत सुंदर लिखा है आपने
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
प्यारी कविता।
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ReplyDeleteये एहसास है मुझे।
बहुत शानदार ! शुभकामनाएं !
Bahut hi acha likhti hain...
ReplyDeleteapka blog na jane kahan chipa tha...
chalo aaj Rashmi ji ke blog ki wjh se apka blog samne aa hi gaya...
bahut hi acha likhti hain..
apke pass shabdo ki bahut achi takat hai..
apko inse khelna ata hai..
apki ek-ek kavita bahut achi hai
ummeed karta hoon age bhi ye padhne ko milti rahengi...
Nischay hi aapki rachna achhi hai.
ReplyDeleteBlog par bhi itni achhi rachnayen padhneko miljaati hai.
Aise hi likhti rahen.
आपकी कविता "तुमने मुझे थाम लिया है" एक ऐसे वैश्विक परिदृश्य का पुनर्लेखन करती है जिसे हम विस्मृत कर चुके होते हैं पर जो हमारे अवचेतन में हमेशा बना रहता है. शिशु में ईश्वरत्व के दर्शन जिसने पहली बार किए होंगे वो बड़ा दृष्टा रहा होगा. शैशव के कार्य-कलापों में परम सत्ता के प्रति आत्म-समर्पण की सहज वृत्ति दृष्टव्य होती है. एक शिशु एक महान गुरु होता है, बशर्ते उसके संकेतों को ग्रहण किया जाए.
ReplyDeleteगहन दार्शनिक भाव-बोध की यह अभिव्यक्ति श्लाघ्य है.
आपकी अन्य रचनाएं पढने की व उन पर टिप्पणी करने की उत्कंठा प्रबल हुई है.
सद्भाव सहित-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
मोबाइल : 09425800818
आपकी कविता "तुमने मुझे थाम लिया है" एक ऐसे वैश्विक परिदृश्य का पुनर्लेखन करती है जिसे हम विस्मृत कर चुके होते हैं पर जो हमारे अवचेतन में हमेशा बना रहता है. शिशु में ईश्वरत्व के दर्शन जिसने पहली बार किए होंगे वो बड़ा दृष्टा रहा होगा. शैशव के कार्य-कलापों में परम सत्ता के प्रति आत्म-समर्पण की सहज वृत्ति दृष्टव्य होती है. एक शिशु एक महान गुरु होता है, बशर्ते उसके संकेतों को ग्रहण किया जाए.
ReplyDeleteगहन दार्शनिक भाव-बोध की यह अभिव्यक्ति श्लाघ्य है.
आपकी अन्य रचनाएं पढने की व उन पर टिप्पणी करने की उत्कंठा प्रबल हुई है.
सद्भाव सहित-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
मोबाइल : 09425800818
बहुत ही प्यारे जज्बात। सच ऐसा ही होता हैं। पढकर अपनी बेटी की याद आ गई। आजकल अपनी नानी के पास गई हुई हैं।
ReplyDeleteBahut khub
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ReplyDeleteये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
very different poem full of feelings
बेहद कोमल रचना..
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ReplyDeleteये एहसास है मुझे।
--एक नाजुक एहसास. वाह, बहुत सुन्दर, बधाई.
बहुत ही सुन्दर कविता,मेरे बच्चे अभी तो बडे हो गये हे , फ़िर भी जब मुस्किल मे पढते हे तो बिलकुल आप की कविता की तरह से मेरे आस पास मडराते हे, ओर मे समझ जाता हु, फ़िर अपने पास बिठा कर सर मे हाथ फ़ेर कर प्यार से बात पुछ लेता हु, ओर उन्हे फ़िर से हिम्मत आ जाती हे, बहुत बहुत धन्यवाद, इस प्यारी सी कविता के लिये
ReplyDeleteye ehsaas mujhe bhi hai, kavita bahut sunder hai hamesha ki terah khoobsurat bhav liye hue.
ReplyDeletemere blog me aane aur tipyaane ke liye shukriya, aasha hai aage bhi aati rahengi.
ati sundar rachanaa taarika ji.. badhayee..
ReplyDeletePriti ji, your poetry is touching my heart. thanks.
ReplyDeletebauht hi sunder
ReplyDeletedher sari badhiya
सुंदर रचना....
ReplyDeleteतुम मेरे पास ही हो,
ReplyDeleteये एहसास है मुझे,
कि अपने हाथों से,
तुमने, मुझे थाम लिया है,
Bahut achchhi line hai.
Badhai
"मेरी तोतली बोली को,
ReplyDeleteबङे ध्यान से सुनते हो,
और बेतुके सवालों का,
तुम जवाब भी देते हो,"
... बहुत अच्छा
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
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