ऐसा नहीं कि,
तेरी याद में,
ये आंखे रोई नहीं,
इनको सज़ा मिली है,
ये अभी तक, सोई नहीं,
ये एक वक्त से खुली हैं,
बस इस इंतज़ार में,
शायद तू नज़र आए इन्हें,
मेरे किसी ख्वाब में।
तेरी याद में,
ये आंखे रोई नहीं,
इनको सज़ा मिली है,
ये अभी तक, सोई नहीं,
ये एक वक्त से खुली हैं,
बस इस इंतज़ार में,
शायद तू नज़र आए इन्हें,
मेरे किसी ख्वाब में।
................
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
Bahut sundar,, Aaj humne bhi apne jeevan mein pahli baar Kavita likhne ka prayas kiya....
ReplyDeleteAap hume bhi acha acha likhna sikha dijiye
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मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
जितनी खूबसूरत रचना उतना ही खूबसूरत चित्र प्रस्तुत किया है आपने...ये आपके रचनाशीलता के विस्तार को दर्शाता है...बहुत खूब...बधाई.
ReplyDeleteनीरज
बेहतरीन लिखा है आपने
ReplyDeleteशायद तू नज़र आए इन्हें,
ReplyDeleteमेरे किसी ख्वाब में।
सुन्दरतम !! पुरे जग की गहराई
और विस्तार लिए हुए ! अच्छा लगता है
आपकी कविता को गुन गुनाते रहना !
आप सभी का आभार।
ReplyDeleteये एक वक्त से खुली हैं,
ReplyDeleteबस इस इंतज़ार में,
शायद तू नज़र आए इन्हें,
मेरे किसी ख्वाब में...
bahut hi ache bhavon ke sath likha hai...
acha laga padh kar...
jari rahe
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut Khub
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ReplyDeleteBahut Khub
ReplyDeleteBahut Khub
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ReplyDeleteशायद तू नज़र आए इन्हें,
ReplyDeleteमेरे किसी ख्वाब में।
ख्वाब में देखने के लिए तो सोना होगा ,
ऐसे ही मजाक कर दिया........ बहुत अच्छी कविता है।
बहुत ही खूबसूरत लिखा हैं। कम शब्दों में बहुत कुछ् कह जाती है। आपके कहे जज्बात ओस की बूंद से लगते हैं।
ReplyDeletebahut hi sundar....chitra aur bhaav dono
ReplyDeleteआंखे रोई नहीं,
ReplyDeleteइनको सज़ा मिली है,
ये अभी तक, सोई नहीं,
ये एक वक्त से खुली हैं,
बस इस इंतज़ार में,
शायद तू नज़र आए इन्हें,
मेरे किसी ख्वाब में।
अच्छा लिखा है प्रीति...हालांकि तुम्हे पहले पढ़कर ...तुमसे मेरी उम्मीदे ज्यादा है
बहुत अच्छा लिखा है. सस्नेह
ReplyDeleteप्रीति, क्या सुन्दर लिखा है, लाजवाब, बेहतरीन
ReplyDeleteसंगीता जी, किस ने कहा ख्वाब देखने के लिये सोना जरूरी है। हमने तो सारे सुन्दर सपने ही खुली आंखों से देखे हैं। और हाँ दिवास्वप्न देखने के लिये तो आँखे खुली रखना अनिवार्यता है। हमने भी ऐसे ही मजाक कर दिया ;)
ReplyDeleteयह रचना ऐसी है कि मानो सलाइयों से बुना स्वेटर!
ReplyDeletebahut acchey...
ReplyDeletedil kochhoo liya
ReplyDeleteबस इस इंतज़ार में,
ReplyDeleteशायद तू नज़र आए इन्हें,
मेरे किसी ख्वाब में।
-खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!
"शायद तू नज़र आए इन्हें,
ReplyDeleteमेरे किसी ख्वाब में।"
बहुत अच्छा है ... अपनी न जाने कब लिखी ग़ज़ल का एक शेर याद आ गया :
"तू अभी ख्वाब है तो अच्छा है
सच जो हो जाए तो फिर क्या होगा"
बहुत ही भावुक कविता अति सुन्दर,
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत ही सुंदर,मार्मिक और भावुक कविता जारी रहे।
ReplyDeleteआप की कलम में जादू है, प्रीती जी।
Beautiful poem from a lovely & sensitive heart.
ReplyDeletewarm regards,
- Lavanya
आपकी संवेदनशीलता को पूरा सम्मान देते हुए यह कहने इजाजत चाहता हूं कि निरंतर लिखें, स्वमूल्यांकन करें और निरंतर अच्छा पढते भी रहें.
ReplyDeleteआपकी रचनाशीलता जारी रहे! इंतजार रहेगा नई रचनाओं का.
इत्ती कड़ी सजा!
ReplyDeleteअच्छी रचना है.
ReplyDeleteaccha likhati hai aap, badhai |
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ReplyDeleteaapne to lata mangeshker ko bhi piche
ReplyDeleteker diya aisa to ve kabhi nahi likh pai.kitna dard hai aap ki rachnav me
-bahut,bahut sunder.
alok toomer
alok ji aap bhi mauj le rahe hai.hindi patrkarita ke shirsh per pahuchne se pahle aap girls college me padhate the.yeh to bacha bacha janta hai ki lata mangeshker kavita likhti nahi gati thi.per in mohtarma ko jo yeh post delet ker dengi unhe kafi mugalta hai apne bare me aur thalua baithe log gazab ki champi ker rahe hai.jai ho mahadevi verma ki.
ReplyDeleteravish kumar
maidam aap juti rahiye kunthit log to jalte hai .aap to meena kumari se aage jayengi.pakiza me unki kavita aap ki kavita aage bekar hai.
ReplyDeletekumar sanjoy
yeh beech beech me coment delet kyo ho ja rahe hai.mitha mitha kha kadua kadua delet.
ReplyDeleteajit anjum
blog ke khel me 20 peshever tippanikar hai jisme 15 to kisi ladki ya mahila ka post aate hi maidan me aa jate hai inse jo savdhan na hua vah mara jata hai .aap kavita kare per jhothii chatukarita se bachke rahe .vaise bhi blog per bhookh bhookmari aur gavn ki chinta kam kam ki jati hai.rohani dunia me jyada bhatakte hai.
ReplyDeletefajal
लता मंगलेशकर जी गायिका हैं ये तो जग जाहिर है। उनकी बराबरी नही की जा सकती वो तो स्वयं सरस्वती हैं। और रहा मीना कुमारी जी की बात तो वो अच्छी अदाकारा थी।
ReplyDeleteऔर मैं अपने आप को अच्छी तरह जानती हूं इसलिए किसी के साथ तुलना न करें तो बहतर है। हर किसी का अपना महत्व होता है मुझे कविता का शौक है सो लिखती हूं।
अब टिप्पणी के बारे में बताना चाहूंगी कि ये मेरे द्वारा डिलिट नही की गई है,मैं अच्छाई पढने का मन रखती हूं तो बुराई पढने का जिगर भी है मुझमें। ये गलतफहमी अपने मन से निकाल दें कि मीठा-मीठा खा और कङवा-कङवा डिलीट
जिगर तो उन में नही है जो अपना url न दे कर अंजान नाम से इस तरह की टिप्पणी करते है।
aap ne sabka muh band ker diya.
ReplyDeletedipti ji aap ki kavita bahur khubsurut hai.kuch vighnsantoshi tatvo ke chalte aap nirash na ho,hum aap ke sath hai.
ReplyDeleteambrish kumar
ji jigar to hamara kamjor hai.per url aap ne bhi nahi diya hai.
ReplyDeletelajwab foto aur kavita
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .....
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