दर्द में भी जो हंसना चाहो,
तो हंस पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
जिन्दगी किसी ठहराव में,
कंही रुकती नहीं,
हिम्मत जो करोगे तो
मन्जिल में दोस्तों को पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
अरमान कभी पूरे नहीं होते,
जो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ,
आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर,
खुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
तो हंस पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
जिन्दगी किसी ठहराव में,
कंही रुकती नहीं,
हिम्मत जो करोगे तो
मन्जिल में दोस्तों को पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
अरमान कभी पूरे नहीं होते,
जो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ,
आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर,
खुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
..............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका "
(चित्र-सभार गुगल)
अरमान कभी पूरे नहीं होते,
ReplyDeleteजो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ,
आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर,
खुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
sunder ....maja a gaya
प्रीती जी आप की यह रचना लाजवाब। आपकी ने अभिव्यक्ति को शब्दों के माध्यम से पूर्णतः साकार रूप दिया है । इस सुन्दर कविता के लिए मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें।
ReplyDeleteजिन्दगी किसी ठहराव में,
ReplyDeleteकंही रुकती नहीं,
हिम्मत जो करोगे तो
मन्जिल में दोस्तों को पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
हमेशा की तरह ये भी उम्दा।
फिर भी, किसी की खातिर,
ReplyDeleteखुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं।
Dard men bhi jo hansana chahoge to hans paoge. bilkul sahi kaha hai aapne. agar aadmi chahe to musibaton se bhi hans kar samna kar sakta hai aur agar jeena nahin aaye to sab kuchh pakar bhi rota rah sakta hai.Preetiji, achhi hoti hain aapki rachnayen.
ReplyDeletepreetiji,
ReplyDeletejindagi key liye isi zazbey ki jaroorat hoti hai.
दर्द में भी जो हंसना चाहो,
तो हंस पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
achchi aur prernadayak kavita likhi hai aapney.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
तस्वीर में जो गुलाब दिख रहें हैं, वो पानी में कमल की तरह खिल उठें हैं। तस्वीर भी आपकी कविता की व्याख्या-सी है। बहुत अच्छी बात कही-
ReplyDeleteटूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
हिम्मत जो करोगे तो
ReplyDeleteमन्जिल में दोस्तों को पाओगे,
बहुत ही सुन्दर हे आप की यह कविता,
धन्यवाद
दर्द में भी जो हंसना चाहो,
ReplyDeleteतो हंस पाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
लाजवाब , बेहतरीन रचना..
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
ReplyDeleteतो उनमें भी महक पाओगे।
क्या सही बात कही, इतना नहीं कविता का हर शब्द प्रेरक है...
prernadayak kavita.....bahut hi prabhawshali
ReplyDeleteजिन्दगी किसी ठहराव में,
ReplyDeleteकंही रुकती नहीं,
हिम्मत जो करोगे तो
मन्जिल में दोस्तों को पाओगे...
बहुत खूब
sunder rachna
ReplyDeleteBagut achhi rachna hai.
Deleteबहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteबेटियों के इस विशेष दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अति सुन्दरतम रचना ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआज बेटी दिवस है ! इस पर ताऊ की तरफ़ से तुमको
आशीष ! खूब अच्छा लिखो और नाम करो !
अरमान कभी पूरे नहीं होते,
ReplyDeleteजो देखे जाते हैं,
armaan dekhe jaate hain kya?
sapne dekhe jaate hain dear..
man sundar hai tumhara..
chhand men likho to chhand ko pooree tarah se follow karo..its friendly suggestion..
u may mind it..but..even though i want to say..
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
ReplyDeleteतो उनमें भी महक पाओगे।
really touch my heart...
sunder...
aapki anya rachnao ki tarah ye rachana bhi khoobsoorat hai,
ReplyDeleteअरमान कभी पूरे नहीं होते,
जो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ,
आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर,
खुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
sundar rachana sandesh deti huye.
vishal
ठीक भी है ""बात रोने की लगे फिर भी हंसा जाता है ,यूँ भी हालात से समझोता किया जाता है "
ReplyDeletePAHLI BAAR AAPKE BLOG PER AAYA. SUNDAR KAVITA HAI AAPKI.
ReplyDeleteAPKA JAIPUR SE KOI VASTA HAI KAYA. MEIN JUST YE JALMAHAL KI PHOTO DEKH KAR POOCH RAHA HUN.
accha h
ReplyDeleteसुन्दर कविता!
ReplyDeleteBhavpurna kavita...
ReplyDeletesachmuch moti to gahare sagar me utarane se hee milte hai. kisi ne kha bhee hai "jin khoja tin paiyan"
ReplyDeleteअरमान कभी पूरे नहीं होते,
ReplyDeleteजो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ,
आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर,
खुद को सवांरोगे तो,
सराहे जाओगे,
टूटे फूलों को भी पानी में डालो,
तो उनमें भी महक पाओगे।
nice..
सराहना ही
ReplyDeleteसावन है
खुशियों का।
bahut sundar kavita hai.
ReplyDeleteJINDGI ME SANGHARS KARO TO
ReplyDeleteEK DIN MANZIL KO PAOGE,
RAKH0 HAUSLA JITNE KI TO
TUFANO ME BHI RAH BAN JAYENGE
दर्द में भी अगर तुम हंसना चाहो, तो हंस पाओगे,
ReplyDeleteटूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
जिन्दगी किसी ठहराव में, कभी कहीं रुकती नहीं है,
जिसकी नज़र हो मंज़िल पे, उसकी रफ़्तार कभी रूकती नहीं है,
हिम्मत जो करोगे तो मन्जिल को अपने क़दमों में पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
अरमान कभी पूरे नहीं होते, जो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ, आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर, खुद को सवांरोगे तो, सराहे जाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
चलने के लिए जब बढ़ाओगे क़दम तो चलना भी सीख जाओगे,
गिर गिर के सही पर मंज़िल को अपनी तुम ज़रूर पाओगे,
जो कर लोगे इरादा पक्का तो इक दिन अपना मुक़ाम पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
राह में ठोकरें बताओ, किस मुसाफ़िर को लगती नहीं है ?
मंज़िल ना मिलने पर, निगाहें किसकी यहाँ भटकती नहीं है ?
सब भूलकर जब चलते ही चले जाओगे तभी जीत पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
हासिल की हो ऐसे ही मंज़िल, तू वो पहला मुसाफ़िर नहीं है,
तू तो बस चलता जा उस राह पे जो तेरे लिये सही है,
आत्मविश्वास से जब तुम अपने क़दम उठाओगे तो पार पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !!
दर्द में भी अगर तुम हंसना चाहो, तो हंस पाओगे,
ReplyDeleteटूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
जिन्दगी किसी ठहराव में, कभी कहीं रुकती नहीं है,
जिसकी नज़र हो मंज़िल पे, उसकी रफ़्तार कभी रूकती नहीं है,
हिम्मत जो करोगे तो मन्जिल को अपने क़दमों में पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
अरमान कभी पूरे नहीं होते, जो देखे जाते हैं,
वो भी आंसुओं के साथ, आंखों से निकल जाते हैं,
फिर भी, किसी की खातिर, खुद को सवांरोगे तो, सराहे जाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
चलने के लिए जब बढ़ाओगे क़दम तो चलना भी सीख जाओगे,
गिर गिर के सही पर मंज़िल को अपनी तुम ज़रूर पाओगे,
जो कर लोगे इरादा पक्का तो इक दिन अपना मुक़ाम पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
राह में ठोकरें बताओ, किस मुसाफ़िर को लगती नहीं है ?
मंज़िल ना मिलने पर, निगाहें किसकी यहाँ भटकती नहीं है ?
सब भूलकर जब चलते ही चले जाओगे तभी जीत पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
हासिल की हो ऐसे ही मंज़िल, तू वो पहला मुसाफ़िर नहीं है,
तू तो बस चलता जा उस राह पे जो तेरे लिये सही है,
आत्मविश्वास से जब तुम अपने क़दम उठाओगे तो पार पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे... !
ज़िंदगी में जब संघर्ष करोगे तभी तुम आगे बढ़ पाओगे,
रखोगे जो हौंसला जीतने का तो तूफ़ानों में भी राह बना जाओगे,
मिलेगी जब मंज़िल अपनी मेहनत से तभी उसका मज़ा तुम पाओगे...
टूटे फूलों को भी पानी में डालो. तो उनमें भी महक पाओगे... !!
- "पुरूषोतम चन्दानी"