Sunday, September 14, 2008

मैं तो, सिर्फ काग़ज हूं

इतना मत रुलाओ कि,
मुश्किल हो हंस पाना,
मैं तो, सिर्फ काग़ज हूं,
मुझे आंसुओं के सागर में,
मत डुबाना।

मुझपे जो लिखी थी,
कभी कहानी तुम ने,
तुमसे गुज़ारिश है,
उसे फिर न दोहराना,
इतना मत रुलाओ कि,
मुश्किल हो हंस पाना।

खा़मोश पलकें थी,
दर्द की तन्हाईयों में,
कोई ख्वाब टूटा था शायद,
इन आईनों में,
ख्वाब में आके जरा तुम,
तन्हाईयों को सहलाना,
इतना मत रुलाओ कि,
मुश्किल हो हंस पाना।
..............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(फोटो-सभार गुगल )

27 comments:

  1. मार्मिक अभि‍व्‍यंजना-

    खा़मोश पलकें थी,
    दर्द की तन्हाईयों में,
    कोई ख्वाब टूटा था शायद,
    इन आईनों में,

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  2. ख्वाब में आके जरा तुम,
    तन्हाईयों को सहलाना,
    इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  3. bhaut ghari rachna hai aapki preeti
    ise padh kar dil bheeg hi gaya

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  4. इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना।
    बहुत खुब बहुत सुन्दर रचना
    धन्यवाद

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  5. पंक्तियां तो खू्बसूरत है ही लेकिन ये चेहरा तो ………

    मुश्किल है कह पाना …

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  6. इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना।


    --बहुत खूब कहा!! वाह!

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  7. मनीष जी ,अपनी बात पूरी करते तो जवाब देना आसान हो जाता। आपको क्या मुश्किल लगा? चेहरा पढ़ना या....कुछ और बात है।

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  8. मुझपे जो लिखी थी,
    कभी कहानी तुम ने,
    तुमसे गुज़ारिश है,
    उसे फिर न दोहराना,

    bahut khoob.....

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  9. मैं तो, सिर्फ काग़ज हूं,
    मुझे आंसुओं के सागर में,
    मत डुबाना।
    par kitne hi kagaz sanivar ke dhamako ke bad doob gaye...

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  10. उम्दा उच्च कोटि की कविता है।
    प्रीति जी क्या आप मीडिया में कार्यरत हैं?

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  11. इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना।


    Bahut sundar rachna ke liye badhai.

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  12. palkein jo bheegi..
    aansuyon ka sailaab ruk na saka
    bhavna ko shabd mile
    man ko thhaharav mila..
    kore kagaz ki kismat badli
    usko koi rang mila..

    my first time on your blog..must say amazing writing...will be regular on your blog now!!

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  13. wah!wah!wah!wah!wah!wah!wah!wah!!!!

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  14. टूट गये स्वप्न आंखों के
    इस बात से आंख क्यों नम है
    प्यार मे खुशियों के बदले मिला गम
    दिल को इस बात से क्यों गम है
    रंज है सिर्फ़ यादें देकर चले गये हो
    लेकिन तुम थे मेरे कभी
    इस बात का अहसास क्या कम है

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  15. मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।


    khub likha karo isi tarah.....
    achha likhti ho....


    fursat me
    www.kkavita.blogspot.com
    pe apni rai jarur dena....

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  16. इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना,
    मैं तो, सिर्फ काग़ज हूं,
    मुझे आंसुओं के सागर में,
    मत डुबाना।
    kya baat hai. ati uttam.

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  17. बहुत सुन्दर लिखा है आपने...मै भी एक शेर पेस करना चाहुगा ...
    अगर आंसू न होते आँखों मे तो आखेँ इतनी खुबशुरत न होती ,
    अगर दर्द न होता दिल मे तो खुशी की किमत पता न होती,
    अगर न वेबफाई न की होती वक्त ने ,तो वक्त की कभी चाहत न होती
    अगर मांगने से पुरी हो जाती मुरादें तो उस खुदा की कभी ज़रूरत ना होती .

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  18. बहुत अच्छी रचना.अच्छा लगा पढ़कर.
    आलोक सिंह "साहिल"

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  19. खा़मोश पलकें थी,
    दर्द की तन्हाईयों में,
    कोई ख्वाब टूटा था शायद,
    इन आईनों में,
    ख्वाब में आके जरा तुम,
    तन्हाईयों को सहलाना,
    इतना मत रुलाओ कि,
    मुश्किल हो हंस पाना।
    ur composition is good
    keep on thinking

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