Tuesday, September 2, 2008

क्या तुमने देखा है, मां-बाबा को



आंखे खोज रही हैं उस मां को
जो बह निकली जलधारा संग
और पिता का भी कुछ अता नहीं
कहां है वो उसको पता नहीं
दिल में एक ही आस लिए
आखों में पाने की प्यास लिए
लिए ढूंढ रहा भाई को संग
इधर-उधर बदहवास लिए
छोटे कन्धों पर है छोटे का भार
अभी हुआ नही मैं दस बर्ष का भी
पूछ रहा हर एक से वो........
क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
आंखों से बहती जल की धारा है
और होंठ सूख रहे हैं...
प्रकृति का प्रकोप ये देखो
मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।
................

प्रीती बङथ्वाल "तारिका "

"यह कविता सच्ची घटना पर है। बिहार में स्टेशन पर एक बच्चा, जिसकी मां पानी में बह गई और पिता का कुछ पता नही चल रहा है। वो अपने छोटे भाई के साथ स्टेशन पर बने राहत शिविर में रह रहा है। यहां पर खाने के लिए जो खिचङी मिल रही है उससे अपना और अपने छोटे भाई का पेट भर रहा। वहीं स्टेशन से मिली जानकारी से ये पुष्टि हो गई है कि उसकी मां का देहांत हो चुका है, लेकिन पिता के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला है। वो स्टेशन पर सभी से यही पूछता रहता है कि उसके मां-बाबा कहां हैं? किसी ने उन्हें देखा है क्या? "

चित्र के लिए नितीश राज जी का आभार ये मेने उन्हीं के ब्लॉग से लिया है।

36 comments:

  1. क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
    आंखों से बहती जल की धारा है
    और होंठ सूख रहे हैं...
    प्रकृति का प्रकोप ये देखो
    मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।
    badh ne jo tabahi failayee hai..
    usme wakai aisa kar diya hai
    bahut hi mamrmik rachna hai...
    jari rahe...

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  2. bahut sundar...vyatha ko sahi ukera hai aapne....

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  3. excellent.......a very amazing poem teach us a great lesson...we will have to do something for flood affected area.......

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  4. निशब्द हूँ प्रीती ओंर हालात से स्तब्ध भी....

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  5. रचना के साथ साथ दर्द बयान करता चित्र सचमुच दिल को स्पंदित कर गया. कोसी का कहर सोच कर मन डूबने लगता है क्या हाल होगा बिहार में बाढ़ से पीडितों का .......ईश्वर भला करे सबका न किसी का भाई जुदा हो न माँ-बाप

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  6. yatharth ka bhwprawan warnan hai aur chitr bhee wahee bol raha hai.

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  7. बि‍छुड़ने का क्‍या दर्द होता है, बयॉं कर पाना मुमकि‍न नहीं। भावुक रचना।

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  8. बहुत ही दर्द हे आप की इस कविता मे, क्या गुजर रही होगी इन लोगो पर, केसे यह सब सहन करते होगे.....
    बहुत बहुत धन्यवाद

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  9. Maa ki mamta aur pita ka pyar jab bachpan men bichud jaye to nanhen bachpan ke manaspatal par kya kuchh ubharta hoga use aapne bahut achhe se prastut kiya hai preetiji. excellent presentation.

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  10. सुन्दर, पर भावुक गम्भीर एवं चिंतनीय
    आभार

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  11. बहुत अच्छा लीखा है और ईसे सोच कर लीखने मे बहुत टाईम लगा होगा। क्यो की मैने भी लीख कर देखा है पर मूझसे कवीता बनता ही नही है।

    बहुत दूख है और मै ईनके लीये कूछ कर सक्ता तो जरूर करता।

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  12. बिहार की बाढ़ के द्र्श्य टी वी पर देख हमारा भी दिल दहल गया है। भगवान इन बच्चो को अपने मां बाप से जल्दी मिलवाये

    मेरे ब्लोग पर आने के लिए धन्यवाद

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  13. मर्मस्पर्शी शब्द-चित्रण !

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  14. अच्छा लेखन है, जारी रखें, ब्लाग भी सुन्दर बनाया है, शुभकामनाएँ ।

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  15. aapke blog header me tasveer kahaan ki hai?

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  16. तस्वीर आपने मेरे ब्लॉग से ली इस के लिए धन्यवाद। सच ये एक त्रासदी है और क्या कहूं। सिर्फ उस बच्चे के लिए संवेदना ही है कि उनका बाबा उन्हें मिल जाए।

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  17. क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को

    भयानक त्रासदी है ! सभी गमगीन हैं !
    आपके कवि मन ने इसको शिद्दत से
    महसूस किया है और एक धारा बह निकली है !

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  18. इस त्रासदी पर आपके शब्द बहुत कुछ
    कह गए ! आप जो कहना चाहती थी
    वो कह पाई ! तिवारी साहब को भी
    अत्यन्त गहरा सदमा पहुंचा है !

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  19. प्रकृति की मार सहने को विवश मानवता !
    गहन शोक की घडी है ! आप के शब्दों
    ने गहराई तक झकझोरा है !

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  20. प्रीती जी,
    दर्द और संवेदना से भरी आपकी कविता 'क्या तुमने देखा है मेरे माँ बाबा को' सुप्तात्मा को झकझोरने वाली है.
    इसके लिए आपका तहे दिल से साधुवाद!
    उदय केसरी
    www.sidhibat.blogspot.com

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  21. आर सी मिश्रा जी, आप मेरे ब्लॉग पर आए, आप का आभार। मेरे ब्लॉग हेडर पर तस्वीर जल महल, जयपुर की है। जिसके बारे में मैंने पिछली पोस्ट में भी एक टिप्पणी में जवाब दिया था।

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  22. Preeti

    tasveer to dehlaati hai hi, kavita is dard ko aur gehraa kar deti hai.
    behad maarmik paristhityaan hain wahan.

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  23. apne such mein baut acha lika h. jivan ke ek sangarsh ko dikhaya.padh kar man paseeg gya

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  24. मेरे पास शब्द नही आपकी रचना की तारीफ के लिए। मै ऐसा पढ, देख कर भावुक हो जाता हूँ।
    क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
    आंखों से बहती जल की धारा है
    और होंठ सूख रहे हैं...
    प्रकृति का प्रकोप ये देखो
    मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।

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  25. मन के तारों को झकझोर देने वाली कविता है। इस सार्थक कविता के लिए बधाई।
    और हाँ, आपने सागर की फोटो लगाकर बीते दिनों की याद दिला दी। मैंने वर्ष 1998 में डा0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से बी0सी0जे0 किया था।

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  26. Preeti ji bhut hi marmik rachana kar di aapne. ati uttam.

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  27. bahot hi dard hai rachana me ,logon ka logon se bichadane ka gham muje pata hai...........



    regards
    Arsh

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  28. kahane ke liye shabd nahi rahe.
    hanuman nahi jo man kee baat dikh saku.kam like ko adhik samjhana.
    --naradmunig

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  29. खोयी हँसी खोयी खुशी सब खो गयीं बातें वहां
    बह गए हैं घर बहुत अब बह रहीं आँखें वहां

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  30. बहुत सुंदर भावों की सुंदर शब्द संयोजना द्वारा प्रस्तुति बधाई . मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

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