Monday, September 22, 2008

जब भी बुलाओगे मुझे

मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मैं पास आ जाऊंगी।

दर्द की तन्हाइयों में हमेशा,
रास्ते पे नजर आऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी।

अपनी खुशियों में,
न शामिल कर सकोगे मुझे,
लेकिन गमों में,
मैं साथ निभाऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मै पास आ जाऊंगी।
............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- सभार गुगल)

29 comments:

  1. बहुत सुंदर भाव हैं ! खुशियों में साथ इंसान दे या ना दे पर गम बांटने
    को तैयार हैं ! तो ऐसे हमदर्द कहाँ मिलेंगे ? बहुत शुभकामनाएं
    इस भाव प्रवण कविता के लिए !

    ReplyDelete
  2. खुशी हो या गम साथ निभाऊंगी
    जब भी करोगे याद.. पास आयूंगी
    मै एक आंसू है मगर ठहर नही पायूंगी ....

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना है यह

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर और उत्तम। फोटो भी शानदार चुनकर लगाई आपने।

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया... वाकई

    ReplyDelete
  6. preetiji,
    antarman ki peeda ki bahut sundar aur marmik abhivyakti. achcha likha hai aapney.

    ReplyDelete
  7. behatarin rachna............achchi rachna.....

    ReplyDelete
  8. kisi kee rachana par ray dena aasan hai,lekin achana muskil
    aapke shabdon ke madhyam se aapke bhav ko jaana aapki lekhani ko maana aapki kriti ko pranaam
    govind goyal sriganganagar

    ReplyDelete
  9. अपनी खुशियों मैं न शामिल कर सकोगे मुझे .
    लेकिन् ग़मों मैं
    मैं साथ निभूंगी .

    बहुत सुंदर रचना .

    ReplyDelete
  10. ह्रदयस्पर्शी रचना,बधाई आपको

    ReplyDelete
  11. आपके कलम से झरे शब्द सीधे दिल में उतर गए.बहुत सुंदर लिखा है.

    ReplyDelete
  12. dard ko kitni saralata se prastut kiya ja sakta hai koi aapse sikhe ...bahot hi sundar bhav saralata se pes kara hai aapne ...sundar rachana ke liye badhai.........

    regards
    Arsh

    ReplyDelete
  13. dard ko kitni saralata se prastut kiya ja sakta hai koi aapse sikhe ...bahot hi sundar bhav saralata se pes kara hai aapne ...sundar rachana ke liye badhai.........

    regards
    Arsh

    ReplyDelete
  14. aansu ki marmikta ko sajiv kar diya......bahut achhi lagi

    ReplyDelete
  15. प्रवाहमान भावनाओं की उच्छल तरंगों सा है "मेरा सागर"... और मैं इन तरंगों में जैसे डूबता-उतराता चला गया... शुरू से अंत तक आपके ब्लॉग की सारी रचनाएँ पढ़ गया मैं.. अच्छा लगा.. बधाई...!!!

    ReplyDelete
  16. जब भी बुलाओगे मुझे,
    मैं पास आ जाउंगी.
    सुंदर लगा...

    ReplyDelete
  17. भावपूर्ण मार्मिक रचना, बधाई

    ReplyDelete
  18. "very touching poetry, each word is beautiful"

    Regards

    ReplyDelete
  19. सुंदर....भाव पूर्ण
    ==============
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

    ReplyDelete
  20. वाह! बहुत सुन्दर.बहुत उम्दा,बधाई.

    ReplyDelete
  21. apni khushiyon mein
    na shamil kar sakoge mujhe
    lekin ghamon mein
    saath nibhaungi...

    dil chho liya aap ne...bahot khub...shbdo ko moti ki tarah piro ke kavita sajayi hai aap ne...

    ReplyDelete
  22. नौवी् से बारवीं पंक्‍ति‍यों में मार्मिक सच की अभि‍व्‍यक्‍ति‍ है, बहुत सुंदर।

    ReplyDelete
  23. अरे वाह क्या बात हे....
    अपनी खुशियों मैं न शामिल कर सकोगे मुझे .
    लेकिन् ग़मों मैं
    मैं साथ निभूंगी
    बहुत ही सुन्दर ओर भाव पुर्ण कविता.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  24. आपने मेरी कविता को सराहा, आप सभी का शुक्रिया और साथ ही कई दोस्तों ने ये बात भी रखी कि मैंने क्या कर दिया है अपने ब्लॉग पर कि मेरी स्क्रिप्ट पेस्ट नहीं हो पा रही है। तो अब मैंने अपने ब्लॉग को पहले की तरह ही कर दिया है। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  25. अपनी खुशियों में,
    न शामिल कर सकोगे मुझे,
    लेकिन गमों में,
    मैं साथ निभाऊंगी,
    मैं एक आंसू हूं,
    ठहर नहीं पाऊंगी,
    जब भी बुलाओगे मुझे,
    मै पास आ जाऊंगी।


    mere pass aapki rachana ki tareef ke liye shabd nahi hai. sach me ati sundar

    ReplyDelete
  26. hi..............
    realy after reading this poem i realised the streanth of tears.thaku

    ReplyDelete
  27. Teri aankh ke aansoo peejaoon, esee meri taqdeer kahan ?
    Bahut khoob rachna aur utni hee sunder tasveer. Aapka javaab nahin Preetijee.

    ReplyDelete
  28. sach aansuon ki jubaan nhihoti magar phir bhi bahut kuch kah jate hain

    aansu kahin thahrta nhi magar har jagah sath jaroor deta hai............bahut sundar.

    ReplyDelete

मेरी रचना पर आपकी राय