मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मैं पास आ जाऊंगी।
दर्द की तन्हाइयों में हमेशा,
रास्ते पे नजर आऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी।
अपनी खुशियों में,
न शामिल कर सकोगे मुझे,
लेकिन गमों में,
मैं साथ निभाऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मै पास आ जाऊंगी।
............
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मैं पास आ जाऊंगी।
दर्द की तन्हाइयों में हमेशा,
रास्ते पे नजर आऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी।
अपनी खुशियों में,
न शामिल कर सकोगे मुझे,
लेकिन गमों में,
मैं साथ निभाऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मै पास आ जाऊंगी।
............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- सभार गुगल)
बहुत सुंदर भाव हैं ! खुशियों में साथ इंसान दे या ना दे पर गम बांटने
ReplyDeleteको तैयार हैं ! तो ऐसे हमदर्द कहाँ मिलेंगे ? बहुत शुभकामनाएं
इस भाव प्रवण कविता के लिए !
खुशी हो या गम साथ निभाऊंगी
ReplyDeleteजब भी करोगे याद.. पास आयूंगी
मै एक आंसू है मगर ठहर नही पायूंगी ....
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना है यह
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और उत्तम। फोटो भी शानदार चुनकर लगाई आपने।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... वाकई
ReplyDeletepreetiji,
ReplyDeleteantarman ki peeda ki bahut sundar aur marmik abhivyakti. achcha likha hai aapney.
behatarin rachna............achchi rachna.....
ReplyDeletesundar rachna...
ReplyDeletekisi kee rachana par ray dena aasan hai,lekin achana muskil
ReplyDeleteaapke shabdon ke madhyam se aapke bhav ko jaana aapki lekhani ko maana aapki kriti ko pranaam
govind goyal sriganganagar
अपनी खुशियों मैं न शामिल कर सकोगे मुझे .
ReplyDeleteलेकिन् ग़मों मैं
मैं साथ निभूंगी .
बहुत सुंदर रचना .
ह्रदयस्पर्शी रचना,बधाई आपको
ReplyDeleteआपके कलम से झरे शब्द सीधे दिल में उतर गए.बहुत सुंदर लिखा है.
ReplyDeletedard ko kitni saralata se prastut kiya ja sakta hai koi aapse sikhe ...bahot hi sundar bhav saralata se pes kara hai aapne ...sundar rachana ke liye badhai.........
ReplyDeleteregards
Arsh
dard ko kitni saralata se prastut kiya ja sakta hai koi aapse sikhe ...bahot hi sundar bhav saralata se pes kara hai aapne ...sundar rachana ke liye badhai.........
ReplyDeleteregards
Arsh
aansu ki marmikta ko sajiv kar diya......bahut achhi lagi
ReplyDeleteप्रवाहमान भावनाओं की उच्छल तरंगों सा है "मेरा सागर"... और मैं इन तरंगों में जैसे डूबता-उतराता चला गया... शुरू से अंत तक आपके ब्लॉग की सारी रचनाएँ पढ़ गया मैं.. अच्छा लगा.. बधाई...!!!
ReplyDeleteजब भी बुलाओगे मुझे,
ReplyDeleteमैं पास आ जाउंगी.
सुंदर लगा...
भावपूर्ण मार्मिक रचना, बधाई
ReplyDelete"very touching poetry, each word is beautiful"
ReplyDeleteRegards
सुंदर....भाव पूर्ण
ReplyDelete==============
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
वाह! बहुत सुन्दर.बहुत उम्दा,बधाई.
ReplyDeleteapni khushiyon mein
ReplyDeletena shamil kar sakoge mujhe
lekin ghamon mein
saath nibhaungi...
dil chho liya aap ne...bahot khub...shbdo ko moti ki tarah piro ke kavita sajayi hai aap ne...
नौवी् से बारवीं पंक्तियों में मार्मिक सच की अभिव्यक्ति है, बहुत सुंदर।
ReplyDeleteअरे वाह क्या बात हे....
ReplyDeleteअपनी खुशियों मैं न शामिल कर सकोगे मुझे .
लेकिन् ग़मों मैं
मैं साथ निभूंगी
बहुत ही सुन्दर ओर भाव पुर्ण कविता.
धन्यवाद
आपने मेरी कविता को सराहा, आप सभी का शुक्रिया और साथ ही कई दोस्तों ने ये बात भी रखी कि मैंने क्या कर दिया है अपने ब्लॉग पर कि मेरी स्क्रिप्ट पेस्ट नहीं हो पा रही है। तो अब मैंने अपने ब्लॉग को पहले की तरह ही कर दिया है। धन्यवाद।
ReplyDeleteअपनी खुशियों में,
ReplyDeleteन शामिल कर सकोगे मुझे,
लेकिन गमों में,
मैं साथ निभाऊंगी,
मैं एक आंसू हूं,
ठहर नहीं पाऊंगी,
जब भी बुलाओगे मुझे,
मै पास आ जाऊंगी।
mere pass aapki rachana ki tareef ke liye shabd nahi hai. sach me ati sundar
hi..............
ReplyDeleterealy after reading this poem i realised the streanth of tears.thaku
Teri aankh ke aansoo peejaoon, esee meri taqdeer kahan ?
ReplyDeleteBahut khoob rachna aur utni hee sunder tasveer. Aapka javaab nahin Preetijee.
sach aansuon ki jubaan nhihoti magar phir bhi bahut kuch kah jate hain
ReplyDeleteaansu kahin thahrta nhi magar har jagah sath jaroor deta hai............bahut sundar.