तेरे हाथ में मेरा हाथ हो
तब दोनों जहां का साथ हो
जीवन का एहसास हो
फिर से जीने का अभ्यास हो
छोटे जीवन की बात नहीं,
सदियों जीने की बात हो
छोटे छोटे इन हाथों की
छोटी-सी खुशियों का एहसास हो
अपने सपनों को पाने का
इन आखों में विश्वास हो
मैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
मुझे फिर बचपन की आस हो
तुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
तब दोनों जहां का साथ हो
जीवन का एहसास हो
फिर से जीने का अभ्यास हो
छोटे जीवन की बात नहीं,
सदियों जीने की बात हो
छोटे छोटे इन हाथों की
छोटी-सी खुशियों का एहसास हो
अपने सपनों को पाने का
इन आखों में विश्वास हो
मैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
मुझे फिर बचपन की आस हो
तुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
................
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
छोटे छोटे इन हाथों की
ReplyDeleteछोटी-सी खुशियों का एहसास हो
बहुत खूबसूरती के साथ उकेरी गई रचना !
शुभकामनाएं !
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
ReplyDeletemind blowing. keep it up.
मासूमीयत भायी।
ReplyDeleteतुझे खिलखिलाता देखकर
ReplyDeleteमुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
bahut pyaara likha hai..
bilkul masoom sa..
badhai ho..
sapno se sundar bhaav.......
ReplyDeletekya baat hai preeti ji. bhut sundar rachana. likhti rhe.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteबच्चे की मासूमियत जैसा लिखा है आपने। बहुत प्यारा लगा। ऐसा लगा मानो मेरी बेटी के हाथ मेरे हाथ में हो। और मै कह रहा हूँ।
ReplyDeleteमैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
मुझे फिर बचपन की आस हो
तुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
मुझे फिर बचपन की आस हो
ReplyDeleteतुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
well said preeti.....
बहुत अच्छी नज़्म है !!!!!!!!!!!
ReplyDeleteआप ने मुझे मेरी भांजी की याद दिला दी !!
ReplyDeletealee alee, kitne sunder hai je haath
ReplyDeleteतुझे खिलखिलाता देखकर
ReplyDeleteमुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
प्रीति जी, बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने,क्या बात हे,
धन्यवाद
man ko bhane wali rachna. bahut sunder.
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteतेरे हाथ में मेरा हाथ, नन्हा बचपन....एक संगमरमरी एहसास
ReplyDeleteसब नर्म है,जीवंत है,नृत्य है,साज है........
जब तेरे हाथ में मेरा हाथ हो
बहुत ही स्वीट सी कविता.मन मिठास से भर गया.
ReplyDeleteआलोक सिंह "साहिल"
BAHUT ACCHA LIKHA HAI AAP NE ..BADHAI..LIKHTE RAHIYE ...
ReplyDeleteअद्भुद ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता .
बहुत कोमल बिल्कुल नन्हे हाथों की तरह।
ReplyDeletebhaut sundar
ReplyDeleteअत्यन्त सुंदर भावः हैं. करती रहिये ऐसी मीठी रचनाएं.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता
ReplyDeletevinay k joshi
सुन्दर!
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