Wednesday, September 3, 2008

तेरे हाथ में जब मेरा हाथ हो

तेरे हाथ में मेरा हाथ हो
तब दोनों जहां का साथ हो
जीवन का एहसास हो
फिर से जीने का अभ्यास हो
छोटे जीवन की बात नहीं,
सदियों जीने की बात हो
छोटे छोटे इन हाथों की
छोटी-सी खुशियों का एहसास हो
अपने सपनों को पाने का
इन आखों में विश्वास हो
मैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
मुझे फिर बचपन की आस हो
तुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
................
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

24 comments:

  1. छोटे छोटे इन हाथों की
    छोटी-सी खुशियों का एहसास हो
    बहुत खूबसूरती के साथ उकेरी गई रचना !
    शुभकामनाएं !

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  2. तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।

    mind blowing. keep it up.

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  3. तुझे खिलखिलाता देखकर
    मुझको हंसने की चाह हो
    तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
    bahut pyaara likha hai..
    bilkul masoom sa..
    badhai ho..

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  4. kya baat hai preeti ji. bhut sundar rachana. likhti rhe.

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  5. बच्चे की मासूमियत जैसा लिखा है आपने। बहुत प्यारा लगा। ऐसा लगा मानो मेरी बेटी के हाथ मेरे हाथ में हो। और मै कह रहा हूँ।
    मैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
    मुझे फिर बचपन की आस हो
    तुझे खिलखिलाता देखकर
    मुझको हंसने की चाह हो
    तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।

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  6. मुझे फिर बचपन की आस हो
    तुझे खिलखिलाता देखकर
    मुझको हंसने की चाह हो
    तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।

    well said preeti.....

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  7. बहुत अच्छी नज़्म है !!!!!!!!!!!

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  8. आप ने मुझे मेरी भांजी की याद दिला दी !!

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  9. तुझे खिलखिलाता देखकर
    मुझको हंसने की चाह हो
    तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
    प्रीति जी, बहुत ही सुन्दर कविता लिखी हे आप ने,क्या बात हे,
    धन्यवाद

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  10. तेरे हाथ में मेरा हाथ, नन्हा बचपन....एक संगमरमरी एहसास
    सब नर्म है,जीवंत है,नृत्य है,साज है........
    जब तेरे हाथ में मेरा हाथ हो

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  11. बहुत ही स्वीट सी कविता.मन मिठास से भर गया.
    आलोक सिंह "साहिल"

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  12. BAHUT ACCHA LIKHA HAI AAP NE ..BADHAI..LIKHTE RAHIYE ...

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  13. अद्भुद ...
    बहुत ही सुन्दर कविता .

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  14. बहुत कोमल बिल्कुल नन्हे हाथों की तरह।

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  15. अत्यन्त सुंदर भावः हैं. करती रहिये ऐसी मीठी रचनाएं.

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  16. बहुत ही सुन्दर कविता
    vinay k joshi

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