Friday, September 12, 2008

मुझे इंतज़ार है फिर भी

चिराग़ जल के मेरा,
बुझ जाएगा,
मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
कि तू आएगा,
खुली आंखों में न सही,
बन्द पलकों के तले,
वो एक आंसू की बूंद-सा,
ठहर जाएगा,
मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
कि तू आएगा।
न इस तरहा से मुझे,
भूल जाने की कौशिश कर,
मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
तू मुझे भूल नही पाएगा,
मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
कि तू आएगा।
..............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- सभार गुगल )

31 comments:

  1. काबि‍ले तारि‍फ जज्‍बा-

    न इस तरहा से मुझे,
    भूल जाने की कौशिश कर,
    मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,

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  2. प्रीती जी आप की कविता बहुत ही सुन्दर है । बहुत ही अच्छा प्रयास किया आपने । पढ़ कर दिल खुश हुआ। बधाई स्वीकार करें

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  3. भूल जाने की कौशिश कर,
    मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।

    बहुत ख़ूब...

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  4. खुली आंखों में न सही,
    बन्द पलकों के तले,
    वो एक आंसू की बूंद-सा,
    ठहर जाएगा,

    न इस तरहा से मुझे,
    भूल जाने की कौशिश कर,
    मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।

    अच्छा है.

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  5. वाह हमेशा की तरफ रचना के साथ साथ फोटो भी
    लाजवाब।

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  6. खुली आंखों में न सही,
    बन्द पलकों के तले,
    वो एक आंसू की बूंद-सा,
    ठहर जाएगा,
    khubsurat si abhivyakti

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  7. अति सुंदर !
    आगे भी ऐसी रचना का इंतजार रहेगा ।

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  8. मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।

    touching my heart...
    jari rahe..

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  9. जी उम्मीद पर दुनिया टिकी है .
    बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ . बधाई .

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  10. न इस तरहा से मुझे,
    भूल जाने की कौशिश कर,
    मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।


    bahut khoob.....

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  11. एक मुकम्मल आज़माइश होती है
    दर्द देने की और उसे सहने की सीमा की
    इंतज़ार करने की और करवाने की सीमा की
    पार पहुँचने के लिए विश्वास ज़रूरी है

    बहुत सुंदर कविता

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  12. प्रीती जी एक बेहतरीन कविता के लिए पहले तो आपको बहुत बहुत बधाई आपकी लेखनी का कायल हो गया हूं मैं तो बोले तो फैन आई सैल्‍यूट यू फोर ए वेरी नाईस पोयम

    रियली वेरी गुड एंड कीप इट अप

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  13. preetiji!
    aapki abhivyakti aur bhav bahut achcha hai.

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  14. कविता की हर पंक्ति दिल को छू गई !!



    -- शास्त्री जे सी फिलिप

    -- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)

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  15. वो एक आंसू की बूंद-सा,
    ठहर जाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा।
    these lines realy sothness to my mind
    compostion can be better
    good job done

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  16. तुमने पुकारा और हम चले आये।।।।हे हे बुरा ना माने यूँ ही मजाक कर रहा हूँ, बहुत अच्छा लिखा है बकिया चर्चा में लेकिन एक बात बतायें तरहा होगा या तरह?

    चिराग़ जल के मेरा,
    बुझ जाएगा,
    मुझे इन्तज़ार है फिर भी,
    कि तू आएगा,

    my 2 cents

    मेरा घर फिर से
    रोशन हो जायेगा
    उस शमा से जो तू
    अपने साथ लायेगा

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  17. क्या विश्वास है।

    शानदार!

    स्व. वली असी का एक शेर याद आ गया-

    मुमकिन है मैं तुझे भूल भी जाऊं लेकिन
    तू मेरी फ़िक्र से आजाद नहीं हो सकता

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  18. सुंदर भाव। अति सुंदर शब्द चयन।

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  19. मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    आप के इस विश्रवास का कायल हो गया.
    धन्यवाद

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  20. खुली आंखों में न सही,
    बन्द पलकों के तले,
    वो एक आंसू की बूंद-सा,
    ठहर जाएगा,
    बहुत सुन्दर चित्र और दिल को छू लेने वाली कविता।

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  21. apke intjar me bahut hi vishwas hai.mai prarthana karunga ki apka intjar jald hi samapt ho.

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  22. खुली आंखों में न सही,
    बन्द पलकों के तले,
    वो एक आंसू की बूंद-सा,
    ठहर जाएगा,

    bahut sundar abhwyakti ||

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  23. प्रीती जी , आपकी कविता दिल को छु गई . आपकी और कविताओं का ईन्तजार रहेगा . धन्यवाद

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  24. प्रीती जी आप की कविता बहुत ही सुन्दर है. आपकी कविता दिल को छु गई.

    kya likha hai aapne......
    kash ki main bhi aapki tarah hota......! lajwaab.....

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  25. न इस तरहा से मुझे,
    भूल जाने की कौशिश कर,
    मैं तेरा ही ख्वाब हूं,
    तू मुझे भूल नही पाएगा,
    bhut badhiya. likhti rhe.

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