Wednesday, August 6, 2008

काश..... "वो" भी प्रेजीडेंट होते।

हम जिस समाज में रहते हैं वहां कदम-कदम पर पॉलिटिक्स के पहलवान नजर आ जाते है। हालांकि मैं इस विषय से कोसो दूर रहती हूं और इसलिए इसके दावं पैंच से वाकिफ भी नहीं हूं। लेकिन अपनी साधारण सी जिन्दगी में इसका स्वाद हाल ही में चखा, तो लगा कि काश...मेरे ‘वो’ भी प्रेजीडेंट होते,हमारी रेजीडेंसियल सोसायटी के। पहले कभी इस इच्छा का जन्म मेरे अंदर नहीं हुआ, पर आज लगता है काश....।
अभी फिलहाल की ही बात है, हमारी सोसायटी में तीज का त्यौहार मनाया गया। इसमें ‘तीज क्वीन’ कॉन्टैस्ट रखा गया। काफी महिलाओं ने इस में भाग लिया। मैं भी उनमें शामिल हो गयी। सोचा साफ-सुथरा सीधा-साधा सा प्रोग्राम होगा, शामिल हो लेते है और साथ के लोगों ने भी काफी जोर दिया हुआ था। सो मैं भी लग गयी लाइन में। पूरा सोलह श्रंगार कर, सज-धज कर पहुंच गये। शुरूवात में ही बारिश की बौछार ने हम सभी का स्बागत किया। लगा प्रोग्राम फ्लॉप न हो जाए लेकिन कुछ समय बाद बरखा रानी थम गयी। और हम आधे भीगे-आधे सूखे से, प्रोग्राम में शामिल हो गये। कुछ लोग काफी समझदार थे वो बारिश रुकने के बाद ही पहूंचे थे। हम जैसे एक दो और बेवकूफ थे जो समय पर आकर बारिश की साजिश का शिकार हुए। वैसे पहली बार ही इस त्यौहार को इस तरह जोर शोर से किया जा रहा था। सो पूरी सोसायटी में रोमांच था कि ये शो कैसा होगा। करीब 750-800 परिवार रहते हैं हमारी सोसायटी में। सब को उम्मीद थी की जरूर से हिट होगा। इस कार्यक्रम के कई रूल बनाए गए थे। प्रोग्राम की रूप रेखा काफी अच्छी थी। आपको सोलह श्रंगार के साथ साथ गाना गाना, डांस करना, सवालों के जवाब देना, आदि कई कसौटियां थी जिस पर परख कर ही तीज क्वीन चुनी जानी थीं।
धिरे-धिरे ये प्रोग्राम आगे बढने लगा और हम सब को, जो कि तीज क्वीन में भाग लेने आये थे एक-एक नम्बर थमा दिये गये। अपने नम्बर के साथ सभी लाइन से स्टेज पर खङे हो गए। वैसे पहले ही राउंड में काफी महिलाएं बाहर होगई और कुल 10 महिलाएं ही बची रह गई, उनमें मैं भी थी। अब बारी थी डांस और गाने की। कुछ ने डांस किया, कुछ ने गाना गाया और कुछ ने कुछ भी नही किया। मैंने दोंनो में नाम लिखा रखा था तो मेरा डांस गाना दोंनो ही थे। जिसे जो आता है वो ही करना था। मगर मुझे डांस के लिए तो बोला गया पर गाने के लिए हीं बुलाया गया। मैं एक बार उन्हें बताने भी गई लेकिन फिर भी मुझे गाने के लिए नही कहा गया। पता नही क्या हो रहा था। लेकिन मैं, दोंनो ही में वहां खङे सभी 10 में सबसे अच्छी थी, ये वहां बैठे सभी लोगों ने, मुझसे मेरा डांस देखने के बाद ही कहा था। तो लगा शायद मैं तीजक्वीन के खिताब के सबसे ज्यादा नजदीक हूं । जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा था सभी की उत्सुकता बढती जा रही थी। यहां वोटिंग से तीज क्वीन चुनी जानी थी। सभी को माइक द्वारा अपना नाम और नम्बर बताना था। लेकिन एक लेडी स्टेज से उतर कर लोंगो के पास जा जा कर घूम रही थी और उसपर ओपजैक्सन करने वाला कोई भी नहीं। उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
कुछ समय बाद नतीजे आने शुरू हुए। डांस में मेरा और मेरे साथ वाली का नाम आया लेकिन गिफ्ट तो एक था सो दोंनो के नाम की चिट डाल कर निकाली गई वहां किस्मत ने साथ छोङ दिया। काफी इंतजार के बाद जिसके लिए इतना श्रंगार किए हुए थे, वो घङी आ ही गई। उसमें भी बाजी उसके हाथ आयी जिसने न तो डांस किया और न ही गाना गाया, साथ ही ये वही बहन थीं जो घूम घूम कर अपना प्रर्दशन कर रही थीं। इससे बङी खबर तो हमें बाद में पता लगी कि वो सोसायटी के प्रेजीडेंट की बहू थी जो पूरे सोलह श्रंगार में भी नही थी, जिसके लिए हमने सारा दिन लगा दिया था। और तो और हद वहां नजर आई जब साथ के लोंगो ने बताया कि उनकी ननद, भाभी का नम्बर पर्ची पर लिखवाने के लिए सभी को फ्रैंडशिप बेंड बांध रही थी। वाहजी वाह प्रेजीडेंट की बहू होने का इतना बङा फायदा कुछ न करो तब भी सब कुछ मिले।
इस ‘तीज क्वीन’ प्रोग्राम की वजह से ही मैं कुछ दिन से ब्लॉग नही लिख पा रही थी। समय मिला तो लगा अब आप सब के साथ अपने मन की बात बतलाऊं। अगर ऐसे ही किसी प्रतियोगिता को जीता जा सकता है तो काश मेरे ‘वो’ भी प्रेजीडेंट होते तो मेरा ताज भी कहीं नहीं गया होता।
प्रीती बङथ्वाल

8 comments:

  1. ऐसे फेवरर्स हर जगह दिखेंगे-कहाँ कहाँ उनको प्रेसिडेंट बनवाईयेगा-जाने दिजिये, इन छोटी छोटी बातों से दिल न छोटा करिये. प्रतिभा को लोग पहचान ही जायेंगे देर सबेर. शुभकामनाऐं.

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  2. प्रीति, अच्छा लिखा है। चलिए गुस्सा निकालने का कोई तो जरिया मिला। वैसे, आपने जो सुनाई वो एक तरह की राजनीति है। दूसरी तरह की राजनीति तब होती जब सारी प्रतिभागी महिलाएं सोसायटी में इसका विरोध करतीं और फिर प्रेसिडेंट महोदय का बहिष्कार हो जाता है। असल में राजनीति सामूहिकता की ज़रूरी शर्त है। इससे कहीं भी बचा नहीं जा सकता।

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  3. जो हुआ सो हुआ, आपने उस दिन का अपना सोलह श्रृंगार वाला फोटो तो हमें दिखाना चाहिए था।
    घुघूती बासूती

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  4. प्रीती जी आपने अपना सारा गुस्सा इस तस्वीरों
    के जरिय़े पेश कर दिया है। साथ ही ये कटाक्ष भी है उस महिला के ऊपर भी जो जीती हैं। चलिए छोडिए भी अब जाने दीजिए। गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। बड़े बुजुर्ग कहते हैं।

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  5. आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
    वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी
    और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
    बधाई स्वीकारें।
    “Dard se hath na milate to or kya karte,

    Gam ke aansoo na bahate to or kya karte.

    Usne maangi thi humse roshni ki dua,

    Hum khud ko na jalate to or kya karte.”
    आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.
    मुझे आप के अमूल्य सुझावों की ज़रूरत पड़ती रहेगी.
    Really i like it and desirous to get your all new creations.

    ...रवि
    http://meri-awaj.blogspot.com/
    http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

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  6. BAHUT ACHHA LAGA, ISI TARAH LIKTE RAHO.MERE SUBHAKAMNAYE TUMAHARE SAATH HE.

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  7. Dear Preety,

    Dont worry about the small crown, even a bigger crown is waiting for you, but you have to wait for the moment. Keep on writing & one day you will definately find the reward for that.

    Keep it up.

    R.S. Rawat

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