Monday, March 23, 2009

तुझको मैने याद किया है, और कुछ किया भी नहीं.......

मैंने हमेशा तुझे,
इस जिंदगी में खुश ही देखा,
या तेरी रहगुजर में,
दुःखों को तलाशा ही नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।


जब कभी शाम की तन्हाई में,
तू रहा भी हो,
मैने अपनी तन्हाई में,
तुझको पुकारा भी नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।

जाने क्यों?...अपने से ही,
छुपा रही हूं तुझको,
तू मेरे पास है,
और मैं इंकार कर रही हूं,
अपने यंकी को यंकी न होने दूं,
कि मैं तेरा इंतजार कर रही हूं।

सुन रहीं हैं, ये हवाएं और फिज़ा,
मेरा कहना,
और खुद मुझको,
इसका एहसास भी नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।
....
......
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)

17 comments:

  1. बहुत सुन्दरता से मन की बात लिखी है, प्रीति जी!

    ---
    चाँद, बादल और शाम
    गुलाबी कोंपलें

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  2. अच्छा शब्दों का जाल बुना है...अच्छी रचना लगी..धन्यवाद...

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  3. जाने क्यों?...अपने से ही,
    छुपा रही हूं तुझको,
    तू मेरे पास है,
    और मैं इंकार कर रही हूं,
    अपने यंकी को यंकी न होने दूं,
    कि मैं तेरा इंतजार कर रही हूं।
    बहुत सुन्दरता से मन की बात लिखी है

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  4. BAHOT HI KHUBSURATI SE HAK ADAA KIYA HAI AAPNE... BAHOT KHUB JI...


    ARSH

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  5. और मैं इंकार कर रही हूं,
    अपने यंकी को यंकी न होने दूं,
    कि मैं तेरा इंतजार कर रही हूं।,


    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. ये कहूं तो,
    सच भी है और झूठ भी है,
    तुझको मैने याद किया है,
    और कुछ किया भी नहीं।

    pahle se kamjor rahi ye rchna . ye mera apna vichar hai aanyatha na le . subhkamnaye

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  7. अच्छा इसलिए नही कि आपने बहुत सुंदर ढंग से लिखा है बल्कि इसलिए क्योंकि इस लिख कर उसी तरह से दिल से छलकाया गया है जैसे सबकुछ कहके भी तुमने कुछ नही कहा ,अब मैं क्या कहूं
    सच्चाई .....
    ये कैसी प्रेम की ज्वाला जलाती है जो अंतर्मन
    मिली मथुरा तो राधा मिल सकी न फिर कभी मोहन
    यही है सत्य जीवन का यहां सबकुछ नही मिलता
    कभी झूले नही मिलते कभी मिलता नही सावन

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  8. Hi , was wondering if you are aware of the Delhi NCR IndiBlogger Meet 2009 scheduled for the 4th of April. Would be great if you can make it and blog about the event too.

    Please send in your ideas for the agenda in the comments section.

    RSVP - http://www.indiblogger.in/bloggermeet.php?id=33

    Cheers,
    Anwin
    IndiBlogger.in

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  9. सुन रहीं हैं, ये हवाएं और फिज़ा,
    मेरा कहना,
    और खुद मुझको,
    इसका एहसास भी नहीं,
    ... अतिसुन्दर।

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  10. सच भी है और झूठ भी है,
    तुझको मैने याद किया है,
    और कुछ किया भी नहीं।

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.

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