हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हूं बाती सनम,
दिल के चमन में,
जब खिलते गुलाब,
कांटों के संग,
खुशबू आती सनम।
जीवन में साथ,
निभाने की कसमें,
पत्थर में,
नाम लिखाने की रसमें,
वो दरख़तों के नीचे,
शाम बितानी सनम,
हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हू बाती सनम।
खुली धूप में,
छत पे बातें बनाना,
कभी पलके उठना,
कभी, शरमा के झुकाना,
नजरों की नजर से,
आंखे बचाना,
यूं ही छुप-छुप के,
अपना मिलना सनम,
हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हूं बाती सनम।
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हूं बाती सनम,
दिल के चमन में,
जब खिलते गुलाब,
कांटों के संग,
खुशबू आती सनम।
जीवन में साथ,
निभाने की कसमें,
पत्थर में,
नाम लिखाने की रसमें,
वो दरख़तों के नीचे,
शाम बितानी सनम,
हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हू बाती सनम।
खुली धूप में,
छत पे बातें बनाना,
कभी पलके उठना,
कभी, शरमा के झुकाना,
नजरों की नजर से,
आंखे बचाना,
यूं ही छुप-छुप के,
अपना मिलना सनम,
हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हूं बाती सनम।
...........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)
हम एक सफर के,
ReplyDeleteसाथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हूं बाती सनम।
--बहुत भावपूर्ण!!!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteखुली धूप में,
ReplyDeleteछत पे बातें बनाना,
कभी पलके उठना,
कभी, शरमा के झुकाना,
नजरों की नजर से,
आंखे बचाना,
यूं ही छुप-छुप के,
अपना मिलना सनम,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी आपने शब्दों से. शुभकामनाएं.
रामराम.
geet ka mukhda to kisi film ke gaane men suna hua hai.....
ReplyDeleteजीवन में साथ,
ReplyDeleteनिभाने की कसमें,
पत्थर में,
नाम लिखाने की रसमें,
वो दरख़तों के नीचे,
शाम बितानी सनम,
हम एक सफर के,
साथी सनम,
तुम दीया हो,
मैं हू बाती सनम।
वाह बहुत खूब प्रीती जी। दिल से लिखी गई रचना। पसंद आई।
humein to bahut pasand aayi ...bahut achchhi lagi
ReplyDeleteदिल के चमन में,
ReplyDeleteजब खिलते गुलाब,
कांटों के संग,
खुशबू आती सनम।
वाह............
दिल की आवाज की एक खूबसूरत अभिव्यक्ति....
"जीवन में साथ,
ReplyDeleteनिभाने की कसमें,
पत्थर में,
नाम लिखाने की रसमें,"
रचना बहुत अच्छी लगी।प्रेम भरे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति.....
भावपूर्ण.
ReplyDeleteभावपूर्ण सुन्दर काव्य
ReplyDeletesundar ! preeti ji, achha bhav, achchhi lay, aur achhi prustuti,
ReplyDeleteBadhai ho! .
बहुत सुन्दर तुम बाती हो मै दिया हूँ सनम . बेहतरीन लिखा है . आभार
ReplyDeletesundar geet...
ReplyDeleteaccha gana hai. jaise filmon me hota hai.
ReplyDeleteAvaneesh
खुली धूप में,
ReplyDeleteछत पे बातें बनाना,
कभी पलके उठना,
कभी, शरमा के झुकाना,
नजरों की नजर से,
आंखे बचाना,khoobsurat ahsaas khubsurat tareeke se kahe....
BAHUT KHOOB.........
ReplyDeleteआपकी इस रचना को महारा हरयाणा ब्लॉग पर शामिल गया है
ReplyDeleteसंजय भास्कर
http://bloggersofharyana.blogspot.in
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