अहसास में, डुबो कर,
प्यार की, कलम से,
लिख दिए, जज़्बात,
जो खिल रहे, कमल से।
मैं डोर से बंधी हूं,
तेरे प्यार का है बंधन,
तुम डूब जाओ मुझमें,
मैं प्यार का समन्दर।
मैं मोम-सी पिघल कर,
तेरी सांसों में बसूंगी,
तुम जबभी पलके मूंदों,
बस मैं ही मैं दिखूंगी।
दिल कह रहा है तुमसे,
बस याद मुझको आना,
वर्ना यूं अनबन होगी,
मेरी नजर की, तेरी नजर से।
............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)
बहुत खूब ...ये चाहत और ये मोहब्बत भी खूब होती है
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
दिल कह रहा है तुमसे,
ReplyDeleteबस याद मुझको आना,
वर्ना यूं अनबन होगी,
मेरी नजर की, तेरी नजर से।
प्रेम की जिद ऐसे भी होती है...
वाह! बहुत सुंदर...
मीत
bahot dino baad aapko padhne ka mauka mil rahaa hai... magar gazab ke wahi tewar aur naazuki ke saath ye bahot hi achha lagat preetee ji.. bahot hi khubsurat kavita ke liye aapka dhero badhaayee meri nayee gazal pe aapko newta..
ReplyDeletearsh
मोम-सी पिघल कर,
ReplyDeleteतेरी सांसों में बसूंगी,
तुम जबभी पलके मूंदों,
बस मैं ही मैं दिखूंगी...
...वाह प्रीति जी, वाह...
आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आप की रचनाएँ, स्टाइल अन्य सबसे थोड़ा हट के है....आप का ब्लॉग पढ़कर ऐसा मुझे लगा. आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे. बधाई स्वीकारें।
आप मेरे ब्लॉग पर आए और एक उत्साहवर्द्धक कमेन्ट दिया, शुक्रिया.
आप के अमूल्य सुझावों और टिप्पणियों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
…Ravi Srivastava
E-mail: ravibhuvns@gmail.com
no comment, narayan narayan
ReplyDeleteno comment, narayan narayan
ReplyDeletedilchasp !
ReplyDeleteएक अच्छी दिल छू लेने वाली रचना के लिए दिल से बधाई..
ReplyDeleteभगवान ने ये चाहत और मोहब्बत ये दोनों क्या चीज बनाई है जिसका हर कोई दीवाना होता है . उम्दा रचना लगी . धन्यवाद.
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletesunder kavita
bahut khub
ReplyDeletesunder kavita
alag alag paras ke style mein ek saamanjasy ki thodi kamee dikh rahi thi..par alag se sabko dekha jaaye to behtareen hai sabhi :)
ReplyDeleteअच्छी है...
ReplyDeleteसुंदर लगी ये रचना ..
ReplyDelete"मैं डोर से बंधी हूं,
ReplyDeleteतेरे प्यार का है बंधन,
तुम डूब जाओ मुझमें,
मैं प्यार का समन्दर।"
प्रेम भरे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...
आप मेरे ब्लाग पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।for ghazal ----- www.pbchaturvedi.blogspot.com
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तुम जबभी पलके मूंदों,
ReplyDeleteबस मैं ही मैं दिखूंगी।
... बहुत प्यारी रचना है।