पापा....क्यों मुझसे रुठे हो,
क्या...मैं नहीं हूं तुम्हारी,
मां.....क्यों ना मुझसे बोल रही,
जब मिली तुमसे ही सांस हमारी।।
क्या...मैं नहीं हूं तुम्हारी,
मां.....क्यों ना मुझसे बोल रही,
जब मिली तुमसे ही सांस हमारी।।
क्यों ना अपनाते मुझको,
क्यों ना होती परवाह मेरी,
क्यों ना तुम भैया के जैसे,
मुझको भी लोरी सुनाती हो।।
दो जवाब, इन कलियों को,
क्यों न खिलने देते तुम,
मन में लिए प्रश्न कई,
पूछ रहा अधखिला “वो” फूल।।
..........
क्यों ना होती परवाह मेरी,
क्यों ना तुम भैया के जैसे,
मुझको भी लोरी सुनाती हो।।
दो जवाब, इन कलियों को,
क्यों न खिलने देते तुम,
मन में लिए प्रश्न कई,
पूछ रहा अधखिला “वो” फूल।।
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भावपूर्ण रचना है। कहते हैं कि-
ReplyDeleteमहिला-मुक्ति आन्दोलन का समाज पे इतना प्रभाव है।
कि जन्म से पहले ही मुक्ति का प्रस्ताव है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
beti ko kokh me maroge to bahu kahan se laoge. samvedansheel man kee bhav se ot prot rachna
ReplyDeletenarayan narayan
क्यों ना तुम भैया के जैसे,
ReplyDeleteमुझको भी लोरी सुनाती हो।।
बहुत सारगर्भित, सामयिक और संदेश देती रचना ! आज के समय में इन सवालों और रचनाओं की शिद्दत से समाज को जरुरत है ! अवश्य लिखी जानी चाहिए ! इस विषय पर नियमित लिखिए ! बहुत शुभकामनाएं !
दो जवाब, इन कलियों को,
ReplyDeleteक्यों न खिलने देते तुम,
मन में लिए प्रश्न कई,
पूछ रहा अधखिला “वो” फूल।।
" hi, very emotional to read... bt a fact too"
Regards
दो जवाब, इन कलियों को,
ReplyDeleteक्यों न खिलने देते तुम,
भावपूर्ण रचना.
सुंदर है
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने.
ReplyDeleteheya..a gud poem..a common topic..keep it up..
ReplyDeletedo comment on ma blog wil hel me improve...
www.arenaoflife.blogspot.com
दो जवाब, इन कलियों को,
ReplyDeleteक्यों न खिलने देते तुम,
मन में लिए प्रश्न कई,
पूछ रहा अधखिला “वो” फूल।।
bahut accha
regards
bahut achchhi rachana hai. photo se bahut achchha prbhav ban pada hai.
ReplyDeleteबहुत अच्छे! क्या बात है!!
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया लिखा है।
ReplyDeleteदो जवाब, इन कलियों को,
ReplyDeleteक्यों न खिलने देते तुम,
मन में लिए प्रश्न कई,
पूछ रहा अधखिला “वो” फूल।।
achchhi rachna.
ReplyDeleteये बात हुई ना बात तारिका जी,
ReplyDeleteकौन हूँ, गंगा मैय्या को भी पढ़ा जी, बहुत सुंदर अभिव्यक्तियाँ कर रही हैं जी आप. बच्ची की बड़ी प्यारी तस्वीरों के साथ उसका मासूम सा सवाल, बहुत बड़ी बात बड़े संजीदा लहजे में पेश हुए यहाँ. आप ऐसे ही लिखते रहें. बहुत बधाई और शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteधन्यवाद
bahot khub likha hai aapne bahot sundar aur saral rachana behatar bhav bhare............
ReplyDeleteअधखीले फूलों की भावनाओं को मजबूती से रखा है आपने. बधाई.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteBahut khub.
ReplyDeletejavaab kahaan dete hain paapaa... nispand rah jaate hain....apne hi apraadhbodh se bhare...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति अद्भुत शब्द प्रवाह
ReplyDeleteहर बार की तरह लाज़बाब
काश दुष्ट समाज कुछ प्रेरणा ले
ReplyDeletebhavnao se prot rachna........
ReplyDeletedil janjhornee wali rachna,,,,,
मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
काश हत्यारे माता-पिता भी इस पुकार को सुन पाते और अजन्मी संतान को जीवन की मामूली असुविधाओं के बदले बलि देने से बच पाते!
ReplyDeleteबहुत ही भावभीनी रचना है।बहुत सुन्दर!!
ReplyDeletebeti ke dard ko bahut hi sundar dhang se prastut kiya hai aapne..........kyun samaj aaj bhi beti ko ek abhishap manta hai..........yatharth ka bodh karati hai aapki kavita
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