Monday, September 28, 2009

कुछ कहते हुए.....ख़्वाब





कुछ कहते हुए....ख़्वाब, 
कुछ सुनते हुए....ख़्वाब, 
चलो इन ख़्वाबों को, 
आज अपना बनालूं,



कहदूं इन्हें दिल के,
 वो सारे जज़्बात, 
और आंखों में अपनी, 
मैं इनको सजा लूं,



 जब खोल के देखूं, 
मूंदी हुई पलकें, 
और सामने बैठे हो, 
कुछ कीमती सपनें,


कह दूं उन्हें भी, 
हैं ये भी कुछ अपने, 
लो संग इन्हें भी, 
दर्पण में समा लो,



 कुछ कहते हुए......ख़्वाब, 
कुछ सुनते हुए......ख़्वाब,
 चलो इन ख्वाबों को, 
आज अपना बना लूं।

...........

प्रीती बङथ्वाल तारिका 
(चित्र- साभार गूगल)


16 comments:

  1. सुन्दर भावव्यक्ति...अच्छा लगा पढ़्कर.

    विजयादशमी की शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर.

    इष्ट मित्रो व कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

    ReplyDelete
  3. आपने ख्वाबों को बखूबी पेश किया है

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति। आपको विजयादशमी की शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर ख्वाब
    बुराई पर अच्छाई की जीत, सत्य की असत्य पर जीत, पाप का नाश, घमंडी का सर्वनाश - यही है विजयादश्मी का संदेश - आओ हम अपने अंदर बसे रावण (अज्ञान, झूठ,पाप,घमंड,घृणा और द्वेष्) का त्याग करे फिर अपने परिवार, समाज और देश को एक नई दिशा दे- आप ,परिवार और सगे संबधियो को विजयादश्मी की मंगलकामनाये

    ReplyDelete
  6. ख्वाबों का क्या है...थोडा आँख बढा दें तो पलकों पे चलने लगते हैं...
    कसीदे जारी रखें....

    ReplyDelete
  7. कुछ कहते हुए......ख़्वाब,
    कुछ सुनते हुए......ख़्वाब,
    चलो इन ख्वाबों को,
    आज अपना बना लूं।

    ख्वाबों की भी अपनी दुनिया होती है...
    मुझे तो ख्वाब देखना बहुत पसंद है...
    आपकी इस रचना से मन खुश हो गया.

    मीत

    ReplyDelete
  8. Kya aap gaati bhi hain.....?
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    A p singh
    Indore
    Mob : 09329231909

    ReplyDelete
  9. लो संग इन्हें भी,
    दर्पण में समा लो,

    बढ़िया कविता, बढ़िया भाव.

    बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

    ReplyDelete
  10. कहदूं इन्हें दिल के,

    वो सारे जज़्बात,

    और आंखों में अपनी,

    मैं इनको सजा लूं,
    bahut sundar

    ReplyDelete
  11. बढ़ा दो अपनी लौ
    कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

    इससे पहले कि फकफका कर
    बुझ जाए ये रिश्ता
    आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
    दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
    ओम आर्य

    ReplyDelete
  12. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  13. कुछ कहते हुए......ख़्वाब,
    कुछ सुनते हुए......ख़्वाब,
    चलो इन ख्वाबों को,
    आज अपना बना लूं।
    बहुत ही खूबसूरत ख्वाब
    यकीनन अपना बना लीजिये

    ReplyDelete
  14. ख्‍वाबों का क्‍या है, आंख खुली और उडनछू हो गए

    लेकिन इसके बावजूद आपकी रचना अच्‍छी लगी

    ReplyDelete
  15. सुन्दर! बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete

मेरी रचना पर आपकी राय