Tuesday, July 28, 2009

.......मेरी आशायें.......





अपनी मुठ्ठी में,
बादलों को बांधती हूं,
क्योंकि मैं उङना चाहती हूं।


अपनी उंगलियों में,
सितारें सजाती हूं,
क्योंकि मैं उनको छूना चाहती हूं।


अपने होंठों पे,
मोतियों को थामती हूं,
क्योंकि मैं लव्ज़ों को सजाना चाहती हूं।


अपनी आंखों में,
चांद छुपाती हूं,
क्योंकि मैं तारों सा चमकना चाहती हूं।

.............

प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र- सभार गूगल)

22 comments:

  1. बहुत बढ़िया! अच्छी रचना !
    बुरा न मानें तो 'लव्ज़ों 'की जगह लफ़्जों कर लें तो कैसा रहे !
    निरंतरता बनी रहे!

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  2. सितारे छूने की यह तमन्ना वाकई तारीफे काबिल है.
    रचना बहुत सुन्दर

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  3. सुन्दर। बेहतरीन। तारे छूने की कामना से दुष्यन्त कुमार यह कविता याद आ गयी:
    जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
    भावना की गोद से उतर कर
    जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
    चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये
    रूठना मचलना सीखें।
    हँसें
    मुस्कुराऐं
    गाऐं।
    हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें
    उँगली जलायें।
    अपने पाँव पर खड़े हों।
    जा तेरे स्वप्न बड़े हों।

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  4. अपनी आंखों में,
    चांद छुपाती हूं,
    क्योंकि मैं तारों सा चमकना चाहती हूं।

    वाह सुंदरतम रचना. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. अनमोल चाहतों से भरी प्यारी रचना।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  6. बहुत खूबसूरत रचना !!

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  7. अपनी मुठ्ठी में,
    बादलों को बांधती हूं,
    क्योंकि मैं उङना चाहती हूं।
    बहुत ही खुबसुरात रचना , बहुत अच्छी कामनाये।

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  8. बहुत सुन्दर प्यारी रचना...

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  9. अपने होंठों पे,
    मोतियों को थामती हूं,
    क्योंकि मैं लव्ज़ों को सजाना चाहती हूं।

    -बहुत उम्दा रचना! बधाई.

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  10. प्रीति जे बहुत खूबसूरत सकारात्मक अभिव्यक्ति
    अपनी आंखों में,
    चांद छुपाती हूं,
    क्योंकि मैं तारों सा चमकना चाहती हूं।
    आपकी कामना पूर्ण हो बहुत बहुत शुभकामनायें और आशीर्वाद

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  11. तितली जो उड़ जाती है ताली से
    नजर नहीं आती है आजकल
    ख्‍यालों में भी
    प्रीति ने दिखलाकर
    तितली का मन
    मानस अपना उकेर
    दिया है।

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  12. sundar bhavnaye aapki..
    aap kamyab ho apne maksad me yahi dua hai..
    bhav ko shabdon me badhiya piroya hai..
    dhanywaad..is sundar kavita ke liye..

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  13. अपने होंठों पे,
    मोतियों को थामती हूं,
    क्योंकि मैं लव्ज़ों को सजाना चाहती हूं।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  14. बहुत सुन्दर रचना है ...बहुत खूबसूरत सकारात्मक अभिव्यक्ति

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  15. अति सुन्दर अभिव्यक्ति...हमेशा की तरह...बधाई...

    नीरज

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  16. bahut khubsoorat khwaaahish hai bhagawan kare puri ho .....sundar rachana

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  17. कुछ ख्वाब ही है जो पलकों को सोने नहीं देते ...

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  18. हम आपका एहतराम करते है
    तुम्हारे हौसलों को सलाम करते हैं.
    तुम्हारे ख्वाब हों पूरे दुआ मांगते हैं
    अपने कुछ शब्द आपके नाम करते हैं
    बहुत अच्छा लिख रहे हो ऐसे ही लिखते रहना

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