Friday, July 10, 2009

यूं ख्वाब रोज सजाया करो...........

जो होंठो को मुस्कान दे,
उन्हीं लम्हों को,
आंखों में बसाया करो,
सलवटें न पङ जाए,
उनमें कभी,
इन्हें रोज सुलझाया करो,
ख्वाब ही तो हैं मासूम से,
धुंधले न हो जाए कहीं,
ये ख्वाब रोज,
पलकों पे सजाया करो।
..........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)

25 comments:

  1. बहुत ही अच्छे शब्दों का और सलीके से इस्तेमाल किया है आपने अपने कविता मैं. अच्छा लगा. Blog : www.taarkeshwargiri.blogspot.com

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  2. सलवटें न पङ जाए,
    उनमें कभी,
    इन्हें रोज सुलझाया करो,
    बहुत खूबसूरत लिखा है...
    बधाई...
    मीत

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  3. बेहद सुंदर रचना. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. वाह प्रीती जी...बहुत सुन्दर रचना...
    नीरज

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  5. बहुत सुन्दर रचना...

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  6. एक बहुत खुब सुरत रचना
    धन्यवाद

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  7. बहुत खूबसूरत रचना...वाह !!!

    बधाई...

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  8. ख्वाब ही तो हैं मासूम से,
    धुंधले न हो जाए कहीं,
    ये ख्वाब रोज,
    पलकों पे सजाया करो।
    aafrin,bahut sunder.

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  9. khoobsurat bhav ke saath sundar rachanaa ji badhaayee


    arsh

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  10. धुंधले न हो जाए कहीं,
    ये ख्वाब रोज,
    पलकों पे सजाया करो।


    Bahut achch iline hai........khwaab hote hi sajaane ke liye.........

    Ati sundat kavita

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  11. क्या बात है , कम शब्दों में कितना ज्यादा कह दिया आपने . वाकई काबिलेतारीफ है!

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  12. ख्वाब ही तो हैं मासूम से,
    धुंधले न हो जाए कहीं,
    ये ख्वाब रोज,
    पलकों पे सजाया करो।
    Bahut sunder ....
    Surinder

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  13. 15/07/2009

    प्रीतिजी बड़थ्वाल जन्म दिन मुबारक हो।
    आभार/ महलकामनाओ सहित
    हे प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई टाईगत
    15/07/2009

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  14. भुल सुधार करे
    आभार/ महलकामनाओ सहित == आभार/ शुभकामनाओ सहित
    हे प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई टाईगत

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  15. सुन्दर। जन्मदिन मुबारक!

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  16. priti ji, aapka janmdin tha or apne bataya bhi nahin.

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  17. Tarikaji,
    Ek sondhi si khushbu or ek naya rupantaran apne kia... ek or sundar rachna ke lie anekanek badhaiya....

    aap gile kagaj par shyahi rakhi he or wo ek khubsurat kalakruti ban jati he...
    shubechaye....

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