Saturday, June 13, 2009

मेरा सागर........

"जिसके लिए इसबार की रचना लिखी है उसी के हाथों से बनी पेंटिंग इसबार पिक्चर में लगाई है आपको भी जरुर पसन्द आयेगी। उसने अपनी मन पसन्द चीज यानी कि कार को इस पिक्चर में बनाया है।"
प्यारी और मासूम है सूरत,
पर मन चंचल है,
सच्चे दिल का शहजादा है,
और नटखट है,
एक बात की बात बनाकर
वो रखता है,
अपनी बातों में उलझाकर
वो रखता है,
तुतलाता है बात-बात पर
गुस्साता है,
थोङा सा भी प्यार करो तो
खिल जाता है,
प्यार बहुत करता है मुझसे
वो जतलाता है,
बार-बार वो गले से मेरे लग
जाता है,
देख उसे मन की चिन्ताऐं
मिट जाती हैं,
अंधकार की सभी घटायें
छट जाती है।
...........
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

19 comments:

  1. वह प्रीटी जी. बहुत ही सुन्दर कविता है...और आपके इस नन्हे महारथी ने कार में बैठे आप दोनों की फोट भी अच्छी बनायी है

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  2. बहुत खूब। किसी शायर ने कहा है कि-

    तमाम घर की फिजा को बदलता रहता है।
    वह एक खिलौना जो आँगन में चलता रहता है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.

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  3. आपकी प्रविष्टि तो खूबसूरत है ही । उस पर आये दोनों कमेंट भी खूबसूरत हैं । चित्र अच्छा है । आभार ।

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  4. बहुत सुन्दर। बच्चे को शुभाषीश!

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  5. बहुत ही अच्छे और कोमल से भावः

    जिसके लिए लिखी है आपने ये कविता उसले लिए असीम प्यार झलकता नज़र आया......
    बहुत ही खूब.....

    और पेंटिंग भी अति सुन्दर,..............
    मेरी शुभकामनाय...आप दोनों को.............

    मैंने भी कुछ लिखा है मन दर्पण पर फुर्सत में देखिएगा..
    अक्षय-मन

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  6. bahut hi pyari rachna hai...aur painting bhi bahut pyari hai

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  7. पीले सूरज को उसकी काली आंखें और पतली नाक कितना खूबसूरत बना रही है। जलने वाला सूरज कितना शांत और मासूम लग रहा है।

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  8. सुंदर जी बहुत सुंदर, बालक होनहार है, पूत के पांव पालने मे दिखाई दे रहे हैं. पेंटिंग मे क्या जबर्दस्त भाव उकेरे हैं? इतनी कल्पना शीलता उसे बहुत आगे ले जायेगी. बहुत आशीर्वाद और शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. आपकी इस रचना में आपकी ममता झलकती है...
    सुंदर रचना...
    मीत

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  10. बहुत सुंदर यह चित्र लगा, ओर एक मां का प्यार उस की कविता मै भी बहुत अच्छा लगा.आप के दुलारे को हमारा भी बहुत बहुत प्यार
    धन्यवाद

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  11. maa ki mamta aur bachche ki shokhiyon ko darshati kavita..........sath hi bachche dwara banaya gaya chitra bahut hi pyara hai.

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  12. बहुत भावपूर्ण रचना,बधाई हो,

    सागर फिर से लहराया,
    गीत मेरे मन को भाया,
    बचपन का अद्भुत,मनमोहक ,
    आपने जो दर्शन दर्शाया .

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  13. अच्छी कविता के लिए बधाई ।-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  14. use dekh man....chhat jati hain.--bilkul sahi hai.bahut achchha lagi aapaki yah rachana.

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  15. अच्छी कविता के लिए बधाई..आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
    एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....

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  16. nazuk see pyari si sunder rachana

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  17. aley! aley! wo wo chchacchi mein bot pyaala hai......


    yeh kavita padh kar mujhe meri maa yaad aa gayi......main bhi aisa tha ........bachpan mein.........
    haan! yeh hai ki bachpan mein maa thi...... par ab nahi hai..........

    par main ab bhi waisa ahi hoon ...... jaisi yeh kavita hai......

    is kavita ne mujhe mere hone ka ehsaas karaya hai........ main apka shukraguzzar hoon......

    bahut hi oomda kavita hai.......

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