निशा की चांदनी में,
वो दमकती-सी रोशनी,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी,
कब मेरे दामन में,
उसकी, आहट-सी हुई,
जिसने मेरी रोशनी में भरी,
अपनी-सी रोशनी।।
तिनका-तिनका कर, बटोरती,
बरसों से चली थी,
आज जाकर, मेरे गुलिस्तां में खिली,
एक कली थी,
मेहमा है मेरे दिल में,
उसके आने की हर खुशी,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी।।
वो दमकती-सी रोशनी,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी,
कब मेरे दामन में,
उसकी, आहट-सी हुई,
जिसने मेरी रोशनी में भरी,
अपनी-सी रोशनी।।
तिनका-तिनका कर, बटोरती,
बरसों से चली थी,
आज जाकर, मेरे गुलिस्तां में खिली,
एक कली थी,
मेहमा है मेरे दिल में,
उसके आने की हर खुशी,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी।।
शबनम के हर इशारे को,
समझ रही थी वो,
चंचल थी नज़र फिर भी,
एकटक खङी थी वो,
पूछती थी, कब से (मेरी) तकदीर की हुई,
खुशियों से दोस्ती,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी।।
.............
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र- साभार गूगल)
pahla comment maiN kar raha huN.
ReplyDeletesamajhiye ki maun bhi prashansa hota hai.
bahot khub likha hai isbaari to kamaal kar diya aapne bahot hi umda rachana...
ReplyDeleteapni nai rachana pe aapko aamantrit karta hun.. aaj ke post pe aana hi hoga aapko...itni to hak jata hi sakta hun...
bahot khublikha hai aapne main to gunguna raha hun .........is roshani ko...
arsh
प्रीति जी
ReplyDeleteसादर अभिवादन
आपकी कविताएं गहुत ही प्रभावशाली हैं। कें न आप इन्हें प्रकाशित करने के लिए भेंजे। साहित्यिक पत्रिकाओं के पते आपको मेरे ब्लाग पर समीक्षा के साथ मिल जाएंगे। अवश्य ही विजिट करें।
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथा चक्र
please visit--
http://katha-chakra.blogspot.com
Preetiji
ReplyDeleteV nice poem.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
बहुत सुन्दर !!!!
ReplyDeleteउसकी रोशनी की चमक ही कुछ और होती है.
khushi ki chamak aisi hi hoti hai .........bahut khoob.
ReplyDeleteशबनम के हर इशारे को,
ReplyDeleteसमझ रही थी वो,
चंचल थी नज़र फिर भी,
एकटक खङी थी वो,
पूछती थी, कब से (मेरी) तकदीर की हुई,
खुशियों से दोस्ती,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी।।
बहुत ही सुंदर भाव, इस सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवाद
तिनका-तिनका कर, बटोरती,
ReplyDeleteबरसों से चली थी,
आज जाकर, मेरे गुलिस्तां में खिली,
एक कली थी,
मेहमा है मेरे दिल में,
उसके आने की हर खुशी,
रात की रानी से,
वो महकती-सी रोशनी।।
लाजवाब रचना. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
महसूस करने वाली रचना. बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteलाजवाब रचना. बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteफुरसतिया देव ने चिट्ठा-चर्चा पर आपकी ये खूबसूरत कविता पढ़वायी तो खिंचा चला आया आपके ब्लौग पर....
ReplyDeleteनहीं झूठ क्यों कहूं महज कविता की खूबसूरती ने ही नहीं,तस्वीर की खूबसरती से भी....
अच्छी रचना वाकई
शबनम के हर इशारे को,
ReplyDeleteसमझ रही थी वो,
चंचल थी नज़र फिर भी,
एकटक खङी थी वो,
touch my heart
Meet
Dear Preeti,
ReplyDeleteI was wondering if you are from Rishikesh. I had a childhood friend there when I was in Ahmedabad.
If you are the same one, I would like to connect again.
priyankajain1@gmail.com
महसूस करने वाली रोशनी के उपर शानदार रचना । वैसै चांद की रौशनी का एहसास सभी को होता है । लेकिन ये रचना उस एहसास को और ज्यादा तेज कर देती है शुक्रिया
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteshabanam ke har ishaare ko
ReplyDeletesamajh rahi thi wo........
mn ke kisi khaamosh kone ki nafees
karvatoN ki khoobsurat tarjumaani..
geet ka lehja bhi anupam hai..
badhaaaeee.......
---MUFLIS---