Wednesday, February 25, 2009

वो सच में..सब समझ रहा था।



वो खामोश नज़रों से मुझे,
अपलक निहारता,
और फिर, कुछ देर बाद,
नज़रे झुका कर चला जाता,
अपने को बहला कर,
फिर लौटता और मुझे,
फिर उसी हाल में देख कर,
सहम जाता।
ये सब देख रही थी मैं,
अपनी भीगी आंखों से,
मगर, चुप थी ये जानकर,कि
वो कहां समझ पा रहा होगा,
जो अभी सब हो रहा था,
हमारे आस-पास।
दिन के सांझ होने तक,
माहौल, कुछ काम में उलझा,
तभी, वो पास आकरके,
मुझसे बोला,
मम्मा बस, अब नही रोना हां....,
क्या ये वो ही है जिसे मेंने,
अभी नादा ही समझा था,
वो छोटा-सा, मेरा प्यारा,
ये सबकुछ समझता था।
वो सच में सब समझ रहा था।
..............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)



21 comments:

  1. अभी नादा ही समझा था,
    वो छोटा-सा, मेरा प्यारा,

    बहुत ही भावपूर्ण अच्छी रचना . काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट देखि तो अच्छा लगा. धन्यवाद.

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  2. behad bhavpurn rachna preeti ji wakai wo sab kuchh samajh raha tha....


    arsh

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  3. भावपूर्ण और सुंदर रचना।

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  4. कविता पढ़कर गहरी अनुभूति हुई

    ---
    चाँद, बादल और शाम

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  5. तभी, वो पास आकरके,
    मुझसे बोला,
    मम्मा बस, अब नही रोना हां....,


    बहुत सुंदरतम रचना. शुभकामनाएं

    रामराम.

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  6. बहुत भावपूर्ण रचना है।बहुत सुन्दर,.....

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  7. बच्‍चे सब समझ जाते हैं ... बहुत सुंदर रचना।

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  8. बच्चे सब समझते है...
    बहुत ही भावुक,लेकिन सुंदर लगी आप की यह कविता.
    धन्यवाद

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  9. वो सब समझता है .सब .कम से कम प्यार की भाषा तो ..मुझे याद है मैंने अपने बेटे को दो हफ्तों का होने पर ही गोद में लेकर गाना सुनाकर सुलाना शुरू किया था ...ढाई साल का होने तक वो रात भर मेरे आने का इंतज़ार करता था .तब सोता था ..जानती है मै कुछ इसी बात पर लिखने वाला था ..आपने जैसे उसे शब्द दे दिए....

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  10. बच्चे मन के सच्चे ...बड़ों से ज्यादा भावुक होते हैं ....
    बहुत सुन्दर रचना
    पसंद पर क्लिक कर चूका हूँ

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  11. बच्चे सब समझते हैं बहुत सुन्दर लगी आपकी यह कविता

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  12. dil ko chhuu lene wali kavita he aapki......

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  13. http://onecolumn-kaptan.blogspot.com/
    mere blog ko bhi dekhiye.....

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  14. aapko bhee pata hoga ek adhdhyan me pata chala he ki bachche ham bado se jyada samjhdaar hote he, bas unki abhivyakti ham jesi nahi ho paati..kher..
    bahut khoobsurat tarike se shabdo ko panktibadhdha kiya he aapne..
    shabdo ki komalta, kavita ka marm uske artho ke saath bakhoobi utare gaye he.

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  15. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति हैं.

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  16. सुन्दर कविता! नयी फॊटो भी अच्छी लगी।

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  17. aapki rachnaya dil ko sparash karti hai

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