जगत जननी, जगत अम्बे
तू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।
तू ही अम्बर ,तू धरा मां,
प्रकृति ये तेरी गोद है,
दे रही आंचल, हवा मां,
तेरी नजर, चारों और है।
कर दया मां, हम हैं नादा,
भूल हुई जो माफ करना,
तू है ममता की धनी मां,
हम तो तेरे फूल है।
तू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।
तू ही अम्बर ,तू धरा मां,
प्रकृति ये तेरी गोद है,
दे रही आंचल, हवा मां,
तेरी नजर, चारों और है।
कर दया मां, हम हैं नादा,
भूल हुई जो माफ करना,
तू है ममता की धनी मां,
हम तो तेरे फूल है।
.............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(आप सभी को नवरात्रों की शुभकामनाऐं। मां दुर्गा सभी को अपना ममता रुपी आशिर्वाद दें यही मां अम्बे से प्रार्थना करती हूं )
(चित्र - सभार गुगल)
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteआप को भी सपरिवार नवरात्रों की शुभकामनाऐं। :)
आज अष्टमी है.बधाई.
ReplyDeleteजय माता दी.
कर दया मां, हम हैं नादा,
ReplyDeleteभूल हुई जो माफ करना,
तू है ममता की धनी मां,
हम तो तेरे फूल है।
बहुत सुंदर प्रार्थना है ! आपने ये प्राथना हमसे भी करवा दी ! अपनी भूलों की क्षमा माँ से आज अष्टमी को हमने भी मांग ली !
बहुत धन्यवाद आपका !
Durgashtmi ki bathai ho.
ReplyDeleteAapne maa durga ki jo upma ki h wo kabile tarif h. Aapne uski upasthati aur mahima ka jo gungan kiya h wo bhi parshansniye h.
Bathai ho.
Ramesh Sachdeva
hpsdabwali07@gmail.com
Badhai ho. maa durgaji ko achhe dhang se naman kiya hai aapne.
ReplyDeleteतू है ममता की धनी मां,
ReplyDeleteहम तो तेरे फूल है।
बहुत सुंदर लिखा है माँ अम्बे के लिए...
आपको भी नवरात्री की बेहद शुभकामनाएं...
आप को भी सपरिवार नवरात्रों की मुबारकबाद....बहुत अच्छा...
ReplyDeleteमां जगदम्बा की प्रार्थना में आप सभी शामिल हुए।
ReplyDeleteआप सभी को मां जगदम्बा का प्यार मिले यही कामना करती हूं।
जय माता दी।
जगत जननी, जगत अम्बे
ReplyDeleteतू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।
प्रमाण माँ को !
maa ki archna ati sundar....
ReplyDeletemaa ka aashirwaad rahe
जगत जननी, जगत अम्बे
ReplyDeleteबहुत खुब ,
ReplyDeleteधन्यवाद
जय माता दी ।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है ।
preetiji,
ReplyDeleteaapkey liye bhi navratra ki shabhkamnayein.
bahut sundar bhav hai-
तू ही अम्बर ,तू धरा मां,
प्रकृति ये तेरी गोद है,
दे रही आंचल, हवा मां,
तेरी नजर, चारों और है।
prabhavshali abhivyakti.
mere blog per naye lekh -kitni ladaien ladeingi ladkiyan- per aap ki rai apekshit hai.
httP://www.ashokvichar.blogspot.com
jai mata di.
ReplyDeletesamast vishwa par maa ka aasheervad bana rahe.
ReplyDelete--------------Vishal
samast vishwa par maa ka aasheervad bana rahe.
ReplyDelete--------------Vishal
samast vishwa par maa ka aasheervad bana rahe.
ReplyDelete--------------Vishal
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
ReplyDeleteनफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
तू ही अम्बर तू ही धरा माँ /
ReplyDeleteचारों ओर की जगह चहुँ ओर
कर दया माँ की जगह कर दे दया माँ
बहुत सुंदर, धन्यवाद!
ReplyDeleteजगत जननी, जगत अम्बे
ReplyDeleteतू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।
तू ही अम्बर ,तू धरा मां,
प्रकृति ये तेरी गोद है,
दे रही आंचल, हवा मां,
तेरी नजर, चारों और है।
कर दया मां, हम हैं नादा,
भूल हुई जो माफ करना,
तू है ममता की धनी मां,
हम तो तेरे फूल है।
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maa ko sha shat naman.