Wednesday, September 3, 2008

तेरे हाथ में जब मेरा हाथ हो

तेरे हाथ में मेरा हाथ हो
तब दोनों जहां का साथ हो
जीवन का एहसास हो
फिर से जीने का अभ्यास हो
छोटे जीवन की बात नहीं,
सदियों जीने की बात हो
छोटे छोटे इन हाथों की
छोटी-सी खुशियों का एहसास हो
अपने सपनों को पाने का
इन आखों में विश्वास हो
मैं खुद को तुझमें ढूंढ रहा
मुझे फिर बचपन की आस हो
तुझे खिलखिलाता देखकर
मुझको हंसने की चाह हो
तेरे हाथ में, जब मेरा हाथ हो।
................
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"

Tuesday, September 2, 2008

क्या तुमने देखा है, मां-बाबा को



आंखे खोज रही हैं उस मां को
जो बह निकली जलधारा संग
और पिता का भी कुछ अता नहीं
कहां है वो उसको पता नहीं
दिल में एक ही आस लिए
आखों में पाने की प्यास लिए
लिए ढूंढ रहा भाई को संग
इधर-उधर बदहवास लिए
छोटे कन्धों पर है छोटे का भार
अभी हुआ नही मैं दस बर्ष का भी
पूछ रहा हर एक से वो........
क्या किसी ने देखा है, मां-बाबा को
आंखों से बहती जल की धारा है
और होंठ सूख रहे हैं...
प्रकृति का प्रकोप ये देखो
मां-बाप से नन्हें बिछङ रहें हैं।
................

प्रीती बङथ्वाल "तारिका "

"यह कविता सच्ची घटना पर है। बिहार में स्टेशन पर एक बच्चा, जिसकी मां पानी में बह गई और पिता का कुछ पता नही चल रहा है। वो अपने छोटे भाई के साथ स्टेशन पर बने राहत शिविर में रह रहा है। यहां पर खाने के लिए जो खिचङी मिल रही है उससे अपना और अपने छोटे भाई का पेट भर रहा। वहीं स्टेशन से मिली जानकारी से ये पुष्टि हो गई है कि उसकी मां का देहांत हो चुका है, लेकिन पिता के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चला है। वो स्टेशन पर सभी से यही पूछता रहता है कि उसके मां-बाबा कहां हैं? किसी ने उन्हें देखा है क्या? "

चित्र के लिए नितीश राज जी का आभार ये मेने उन्हीं के ब्लॉग से लिया है।

Monday, September 1, 2008

तेरी याद के आंसू रह गये


तू न रहा मेरे संग मगर,
तेरी याद के आंसू रह गये,
फूलों के मंका बनाये थे,
जो रेत के घरौंदों में ढह गये।
तू मुसाफिर नहीं था,
मेरी मन्जिल का,
जो इस तरहा से चला गया,
मेरी हर हंसी का तू ख्वाब था,
जो बिखर-बिखर के रह गये।
अभी दूर तक ही न गया था तू,
तेरे पांव रुक कर ठहर गये,
मेरे ख्वाब ने एक आस की,
होंठ मुस्कुराते रह गये।

तू रुका था एक पल के लिए,
फिर धुंध में कंही खो गया,
मेरी आंख में आंसू अभी-अभी,
मुस्कुरा कर बह गये।
तू न रहा मेरे संग मगर,
तेरी याद के आंसू रह गये।
...............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"