यादों के झरोखों से ज़रा,
झांकता, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था,वो कौन था?
मैं खुद बेखबर थी,
कि अन्जान थी उससे,
जो मेरे सवालों में, ये भी एक,
सवाल था, वो कौन था?
झांकता, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था,वो कौन था?
मैं खुद बेखबर थी,
कि अन्जान थी उससे,
जो मेरे सवालों में, ये भी एक,
सवाल था, वो कौन था?
जिसने मेरे घरौंदे में अपनी,
आस को बसाया था,
कुछ नन्ही खुशियों को घर में,
सितारों सा सजाया था,
आस को बसाया था,
कुछ नन्ही खुशियों को घर में,
सितारों सा सजाया था,
इतने करीब थी जिसके,
फिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,
फिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,
क्या मैं भी उन खुशियों को अपना,
आशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,
आशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,
सोचते ही सोचते, वो अहसास,
एक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?
एक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?
.............
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- सभार गूगल)
कहाँ हो इतने दिन से. कुछ पता ही नहीं चलता.
ReplyDeleteरचना बहुत भावपूर्ण है.
नववर्ष की मंगलकामनाऐं.
bahhuta dinoM ke baada kuCha yahaa~M dikhaa aura achChaa dikhaa !
ReplyDeleteयह तो रहस्य ही रहता है कि कौन -क्या है और इसी रहस्यात्मकता में ही उसका सौंदर्य निहित है.
इतने करीब थी जिसके,
ReplyDeleteफिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,
काफ़ी दिन बाद आपने लिखा पर बेहतरीन लिखा, इतने दिनो की लगता है कमी पूरी करदी. भई वाह.. लाजवाब..शुभकामनाएं.
रामराम.
वो कौन था? देर आई मगर दुरुस्त आई .आपकी तबियत अब कैसी है?
ReplyDeleteबहोत ही बढ़िया कविता वो कौन था?
...ढेरो बधाई आपको..प्रीति जी...
अर्श
काफी दिनों के बाद क्या बात? अर्श जी की टिप्पणी से तो लग रहा है कि तबीयत ठीक नही थी। हर बार की तरह इस बार भी अच्छी और सुन्दर कविता के साथ आई।
ReplyDeleteसोचते ही सोचते, वो अहसास,
एक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?
बहुत ही उम्दा।
वाह जी वाह ! रंग जम गया !
ReplyDeletewo or koi nahin ya to hamara aksh hota hai ya fir hamara koi apna. narayan narayan
ReplyDeleteसोचते ही सोचते, वो अहसास,
ReplyDeleteएक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?
...... bahut achhi rachna
आपने बहुत सुन्दर कविता की है
ReplyDelete---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
---मेरा पृष्ठ
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDelete---मीत
क्या मैं भी उन खुशियों को अपना,
ReplyDeleteआशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,
sunder rachana
अरसे बाद ...........साल की शुरुआत .......उदासी सी लगी
ReplyDeleteअनुराग जी ने बिल्कुल ठीक कहा...
ReplyDeleteसोचते ही सोचते, वो अहसास,
ReplyDeleteएक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?
वो आप का अपना मन ही तो था
बहुत सुंदर कविता कही आप ने धन्यवाद
comments ke liye bahut bahut shukriya.... plz.... aise hi moral up karte rahiye....
ReplyDeletethanX again....
'
Regards........
रचना बहुत भावपूर्ण है
ReplyDeleteप्रीति जी, एक और ख़ूबसूरत कविता वाह!
ReplyDeleteइतने करीब थी जिसके,
ReplyDeleteफिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,
बहुत ही बढ़िया भाव पूर्ण रचना .
bahut hi sundar ...............
ReplyDeleteone thing i want to say about ur blog.
its really well organized.
dil ko chhu gayi ......
ReplyDeleteजिसने मेरे घरौंदे में अपनी,
आस को बसाया था,
कुछ नन्ही खुशियों को घर में,
सितारों सा सजाया था,
मैं खुद बेखबर थी,
ReplyDeleteकि अन्जान थी उससे,
जो मेरे सवालों में, ये भी एक,
सवाल था, वो कौन था?
यथार्थ सटीक सार्थक
जो मेरे सवालों में, ये भी एक,
ReplyDeleteसवाल था, वो कौन था?
wah 'bhuli' i can very much relate to this poem espically these two lines....
Took me a while to get through it, but it's beautiful.
ReplyDeletebehtreen............
ReplyDeleteइतने दिन के बाद बहनिया और इतनी सुन्दर प्रस्तुति। सच "तारिका" अब बिग ब्रदर कह दिया तो निभाना ज़रूर। बहुत बेहतरीन कहा आपने। बहुत बहुत शुभाशीर्वाद सहित। मालिक तुम्हें तमाम काइनात की ख़ुशियाँ बख़्श दे।
ReplyDeletesundar rachna.. shubhkamnayen..
ReplyDeleteKuch dard bhi hai, hai kuch umang bhi. Yahi hai jeevan, kuch udaas bhi, kuch khamoosh bhi, kuch paane ki aas bhi.
ReplyDeleteSach, bhaut gahrai hai vicharoon mein.Good !
आप कहाँ हैं तारिका ? इतना बड़ा गैप ? जल्द आइएगा लौट कर। इंतज़ार में।
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteMiss tarika
kahan gayab ???
Hope sab kuch kusha hoga.
please jaldi aayie aur apne kalam ko kuchh kast dijiye...
aapke agle post ke intzaar mein...
pichhli sabhi rachnao ki hi tarah bhawpurna'gambheer rachana.
ReplyDelete--------------------------"VISHAL"
priti ji aapke bhawa shabda me dhal kar bade sundar ban pade hai.
ReplyDeleteinhai mai ratlam, jhabua(M.P.) Dahod(gujarat) se prakashit danik prasaran me prakashit karane ja raha hoon.
kripaya, aap apana postal address mujhen send karen, taki aapko prati bheji ja saken.
pan_vya@yahoo.co.in
thanks
क्या मैं भी उन खुशियों को अपना,
ReplyDeleteआशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,
....Bahut Sundar Abhivyakti..!!
ati uttam bhavpurna abhivyakti...........yeh sawaal hi apne mein bahut hai ..........wo kaun tha...........mera man ya mera saya ya koi ahsaas.........kuch bhi ho sakta hai...........lajawab rachna
ReplyDeleteकाफ़ी दिन से आपने कुछ लिखा नही है
ReplyDeleteबहुत सुंदर है सलाम आपकी ग़ज़ल को और आपको भी
ReplyDeletehi;prityji. your rachna is exellent.it touch my heart.
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