Wednesday, May 27, 2015
Monday, May 7, 2012
Friday, August 12, 2011
तुम ना आना.........
तुम क्यों नहीं आए.....
जब ख़ामोश नज़रों ने,
पुकारा था तुम्हें,
जब सिसक रहे थे ख्वाब,
और सिमट रही थी खुशियां,
तुम क्यों नहीं आए........,
तुम क्यों नहीं आए....
जब रास्ते पर,
टक-टकी लगाई आंखे,
ढूंढ रही थी,
तेरे कदमों की आहट को,
तुम क्यों नहीं आए......
अब के जब,
पत्थराई आंखे....,
पत्थर बन गई,
और सांसों की डोर,
हाथों से छूट गई,
तुम ना आना...,हां..
तुम ना आना...,
बस यूंही
अफसोस जताने को।
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प्रीती बङथ्वाल(तारिका)
(फोटो-गूगल)
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