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गर उनकी आंखों में......
“अब
की बारिश में,
ये
ख्वाब भीग जाएंगे,
गर
उनकी आखों में कहीं,
हम नजर आएंगे।“
“वो
कहते ही नहीं थे,
जुबा
से.....कहानी अपनी,
हम
अपनी कहानी में,
….उनकों
बतायेंगे,
गर
उनकी आखों में कहीं,
हम नजर
आएंगे।“
प्रीती बङथ्वाल (तारिका)
चित्र-सोजन्य(गूगल)
beautiful :)
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteप्रीतीजी नमस्कार ,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ........
बहुत सुन्दर भाव...................
ReplyDeleteअनु
अब की बारिश में,
ये ख्वाब भीग जाएंगे,
गर उनकी आखों में कहीं,
हम नजर आएंगे
वाऽह ! क्या बात है !
... फिर क्या हुआ ... ख़्वाब भीगे ?
:)
आदरणीया प्रीती बङथ्वाल जी
मौसमे-बरसात बीते भी वक़्त हो गया और नई कविता लगाए हुए भी ...
उम्मीद है , जल्द ही आपकी नई कविता पढ़ने को मिलेगी
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
very nice
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