Thursday, July 15, 2010

ऐ साथी मेरे सुन................




ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को,
साथ रहना सदा,
चाहे, कोई बात हो,
सुख का सूरज हो या,
हो दुख की काली घटा,
राह में पत्थर भी हों,
चाहे हों फुलवारियां......,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।



वो वादे तुम्हारे,
न हम भूल पाए,
तभी तो ये पलकें,
कभी मुस्कुराएं,
कभी भीग जाएं।
वो टुक टुक नजर से,
नजर को मिलाएं,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।



पहरे हजारों थे,
सभी तोङ आए,
बस.....तेरे लिए,
वो गली छोङ आए,
जहां अम्मा बाबू जी,
नित खेल खिलाते थे,
उंगली पकङ कर वो,
चलना सिखाते थे,
वो सभी छोङ आए,
सभी छोङ आए,
ऐ साथी मेरे,
सुन मेरी बात को।।
........... 
प्रीती बङथ्वाल तारिका 
(चित्र साभार गूगल)