Monday, March 23, 2009

तुझको मैने याद किया है, और कुछ किया भी नहीं.......

मैंने हमेशा तुझे,
इस जिंदगी में खुश ही देखा,
या तेरी रहगुजर में,
दुःखों को तलाशा ही नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।


जब कभी शाम की तन्हाई में,
तू रहा भी हो,
मैने अपनी तन्हाई में,
तुझको पुकारा भी नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।

जाने क्यों?...अपने से ही,
छुपा रही हूं तुझको,
तू मेरे पास है,
और मैं इंकार कर रही हूं,
अपने यंकी को यंकी न होने दूं,
कि मैं तेरा इंतजार कर रही हूं।

सुन रहीं हैं, ये हवाएं और फिज़ा,
मेरा कहना,
और खुद मुझको,
इसका एहसास भी नहीं,
ये कहूं तो,
सच भी है और झूठ भी है,
तुझको मैने याद किया है,
और कुछ किया भी नहीं।
....
......
प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)

Monday, March 16, 2009

कैसे जीवन को जीती वो?..........

जब कहते हैं, आजाद हैं हम,
तो नारी को, क्यों दिया बंधन,
लम्बें परदें की ओटों में,
क्यों बांध रहे उसको बंधन?



क्या सोचा है,..कभी तुमने,
कैसे जीवन को जीती वो?..
रस्मों की ओट में डाले हुए,
सारे बंधन को सहती वो?..




कहते हैं हया का परदा है,
क्या परदा नही, तो हया भी नहीं?..
बस एक घूंघट के घूंटों में,
क्यों तिल-तिल मार रहे उसको।
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प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)

Wednesday, March 11, 2009

हर रंग लगे रसीला.......

रंग लगा हर चेहरा देखो,
लाल हरा, और पीला,
प्यार के रस में भरे हुए,
हर रंग लगे रसीला।
हर कोई राधा कृष्ण बना,
कोई धर्म का डोल बजे ना,
न कोई गोरा, न कोई काला,
बस एक ही रंग, सजे यंहा,
रंग लगा हर चेहरा देखो,
लाल हरा और पीला,
प्यार के रस में भरे हुए,
हर रंग लगे रसीला।

होली रंग में भीग रहें है,
बन के टोली-टोली,
हर बाला, लगे राधिका,
खेले कृष्ण की होली,
रंग लगा हर चेहरा देखो,
लाल हरा और पीला,
प्यार के रस में भरे हुए,
हर रंग लगे रसीला।


भूल के झगङा गले लगा अब,
न कोई बैर बनाना,
रंग में भर के, खेलो होली,
सब को गले लगाना,
रंग लगा हर चेहरा देखो,
लाल हरा और पीला,
प्यार के रस में भरे हुए,
हर रंग लगे रसीला।
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प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- साभार गूगल)
आप सभी को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

Saturday, March 7, 2009

तू इस तरहा से मेरी जिन्दगी में शामिल है।....

जैसे हवाओं में
महक का घुलना,
फूल में,
खुशबू का मिलना,
ख्वाब का,
पलकों में पलना,
रोशनी का,
दिये से जलना,
तू इस तरहा से,
मेरी जिन्दगी में शामिल है।


जैसे सीप में
मोती का मिलना,
बारिश में,
इन्द्रधनुष बनना,
होठों में,
हंसी का खिलना,
मंदिर में,
शंखनाद होना,
तू इस तरहा से,
मेरी जिन्दगी में शामिल है।
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प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र - साभार गूगल)

Friday, March 6, 2009

मेरा हर शब्द है,...........


मेरा हर शब्द है,
मेरी ही किताब की तरहां,
रेखाओं में छिपे जज़बात,
उस गुलाब की तरहां,
जिसकी हर पंखुङी,
दर्द के कांटों से बनी,
जिसके आंसू हैं,
प्यालों में शराब की तरहां,
मेरा हर शब्द है,
मेरी ही किताब की तरहां।।

कहीं पर कुछ छूट गया,
और कहीं अफसाने हैं बने,
मासूम सूरत पे अभी तक,
गम के निशाने हैं बने,
उठता है हर ख्वाब जहां,
एक खु़मार की तरहां,
खुश्क पन्नों पे रहता है,
जो एक, किरदार की तरहां,
मेरा हर शब्द है,
मेरी ही किताब की तरहां।।

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प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र - साभार गूगल)