तुम क्यों नहीं आए.....
जब ख़ामोश नज़रों ने,
पुकारा था तुम्हें,
जब सिसक रहे थे ख्वाब,
और सिमट रही थी खुशियां,
तुम क्यों नहीं आए........,
तुम क्यों नहीं आए....
जब रास्ते पर,
टक-टकी लगाई आंखे,
ढूंढ रही थी,
तेरे कदमों की आहट को,
तुम क्यों नहीं आए......
अब के जब,
पत्थराई आंखे....,
पत्थर बन गई,
और सांसों की डोर,
हाथों से छूट गई,
तुम ना आना...,हां..
तुम ना आना...,
बस यूंही
अफसोस जताने को।
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प्रीती बङथ्वाल(तारिका)
(फोटो-गूगल)
बहुत खूबसूरती से लिखे हैं जज़्बात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव्।
ReplyDeletebhtrin lekhna ke liyen badhaai .akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteवाह ..कितनी कोमल ,प्यारे अहसासों को समेटे है ये रचना ..
ReplyDeleteबहुत बहुत अच्छी लगी.
ohh दर्द को इंतज़ार को कितनी खूबसूरती के साथ शब्दों में उतरा है आपने जितना गहरा एहसास उस्ती ही गहरी रचना तुम न आना....
ReplyDeleteअब सिर्फ अफ़सोस जताने...वाह बहुत अच्छा लगा....
Nice.... Kindly visit my blog once and give me ur valuable comments
ReplyDeleteप्रीती जी,
ReplyDeleteइस थोड़ी सी जिंदगी में हमें कभी -कभी उदास क्षणों का भी सामना करना पड़ता है । हर लोग की संवेदनाएं अलग होती हैं । कोई इसे बनाए रखता है कोई इसे मन से निकाल देता है । दिल को समझाना आसान नही है । .एक गीत में भी सुना था -
1.रूठे रब को मनाना आसान है
रूठे यार को मनान मुश्किल ।
2.मुहब्ब्त के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं,
ये वो नगमा है जो हर साज पर गाया नही जाता ।.
आपकी भावनाओं के साथ मेरी सहानुभूति है । आपके जजबात मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गए । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDelete♥
आदरणीया प्रीती बङथ्वाल 'तारिका'जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत विलंब से पहुंचा हूं आपकी पोस्ट पर …
लेकिन आपने भी बहुत समय से नई रचना नहीं लगाई …
आशा है, आप सक्रिय भी होंगी , और सपरिवार स्वस्थ-सानंद भी
प्रिय की प्रतीक्षा की सुंदर कविता है
अब के जब,
पत्थराई आंखे....,
पत्थर बन गई,
और सांसों की डोर,
हाथों से छूट गई,
तुम ना आना...,हां..
तुम ना आना...,
बस यूंही
अफसोस जताने को।
… लेकिन प्रतीक्षा को हताशा में न बदलने दीजिए…
ताज़ा पोस्ट में आशा की नयी किरणों , नये उत्साह , नयी ताज़गी से भरी एक रचना पोस्ट कीजिए जल्द से जल्द :)
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ye kavita agar aapki h to aapne jindgi ko kafi gahrai se dekha h
ReplyDeleteदिल की गहराई से लिखी है कविता बहुत खूबसूरत
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