अब की बारिश में, ये ख्वाब भीग जाएंगे, गर उनकी आखों में कहीं, हम नजर आएंगे वाऽह ! क्या बात है ! ... फिर क्या हुआ ... ख़्वाब भीगे ? :) आदरणीया प्रीती बङथ्वाल जी मौसमे-बरसात बीते भी वक़्त हो गया और नई कविता लगाए हुए भी ...
उम्मीद है , जल्द ही आपकी नई कविता पढ़ने को मिलेगी
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित… राजेन्द्र स्वर्णकार
जिंदगी के इस सफर में कई बार लगा कि जिंदगी ने मेरा साथ दिया और कई बार छोड़ दिया। मेरे कदम मेरी हिम्मत से भी बड़े थे। कुछ करने की ठानी तो उसे पूरा किया। अपने लिए, अपनों के लिए। जज्बात और ख्याल सिक्के के दो पहलू की तरह मेरे साथ चलते रहे, हमेशा। अपनी उन यादों को झरोखा बनाकर, सागर की उस अनंत गहराइयों से निकालकर अब बताने का वक्त आगया है, कुछ लिखने का वक्त आगया है।
beautiful :)
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteप्रीतीजी नमस्कार ,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ........
बहुत सुन्दर भाव...................
ReplyDeleteअनु
अब की बारिश में,
ये ख्वाब भीग जाएंगे,
गर उनकी आखों में कहीं,
हम नजर आएंगे
वाऽह ! क्या बात है !
... फिर क्या हुआ ... ख़्वाब भीगे ?
:)
आदरणीया प्रीती बङथ्वाल जी
मौसमे-बरसात बीते भी वक़्त हो गया और नई कविता लगाए हुए भी ...
उम्मीद है , जल्द ही आपकी नई कविता पढ़ने को मिलेगी
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
very nice
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