Wednesday, November 11, 2009

आओ देखें इक स्वप्न नया........







आओ देखें इक स्वप्न नया,
नई रचना हों, नई उम्मीदें,
 छोटी-छोटी सी ख्वाहिशें हो, 
हो अपनों की खुशियां जिनमें।





 पल-पल के सपने तैर रहे, 
छोटी-छोटी आशाओं में, 
मन मचल रहा छूने को यूं, 
हो सीप में,... कोई मोती जैसे।






ठण्डी में सौंधी-सी धूप खिले, 
हर तरफ हों नन्हें फूल खिलें, 
तितली में, हों कई रंग भरे, 
ख्वाबों में भी लगे पंख नये।
...........



प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)
 



20 comments:

  1. स्वप्न देखना स्वप्न सजाना दोनों अच्छी बात।
    प्रीति के सपने हों पूरे मिल जाये सौगात।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. बदलते मौसम की शुभकामनायें...सभी को..
    अच्छी रचना !

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  3. सुन्दर, कोमल रचना, बधाई.

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  4. सुन्दर सपने सी ही सुन्दर कविता ...सपना साकार हो ..
    शुभकामनायें ..!!

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  5. बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. बेहद खूबसूरत रचना लगी । बहुत- बहुत बधाई आपको.......

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  7. der aayad durust aayad ..... khubsurat rachanaa ke saath aayeen hain aap .....behad khubsurat aayad hai aapki... badhaayee


    arsh

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  8. ठण्डी में सौंधी-सी धूप खिले,
    हर तरफ हों नन्हें फूल खिलें,
    तितली में, हों कई रंग भरे,
    ख्वाबों में भी लगे पंख नये।
    वाह यह तो आपने बहुत सुंदर लिख दिया...
    बहुत अच्छा लगा पढ़कर..
    मीत

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  9. मुझे तो आपकी तस्वीर ही किसी सपने से कम नहीं लगी बहुत खूबसूरत रचना आपके सपने सच हों आशीर्वाद्

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  10. ठण्डी में सौंधी-सी धूप खिले,
    हर तरफ हों नन्हें फूल खिलें,
    तितली में, हों कई रंग भरे,
    ख्वाबों में भी लगे पंख नये।

    जीवन से भरी रचना!

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  11. काफी दिनों के बाद आपकी रचना पढने को मिली। हमेशा की तरह बेहतरीन और सुन्दर रचना। ये स्वप्न वाकई प्यारा है। सुन्दर शब्दों से संवारा है।

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  12. bahut hi surili kavita sundar aur spasht bhav ki man ko mehka dene wala ehsaas in shabdon main.... kamal hai/..........

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  13. बहुत शुभकामनायें ..!! .............!!

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  14. बहुत खूब
    बहुत -२ आभार

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  15. Pritiji
    bahut acchi kavitao ka sangah hai bda achha laga lagee rhoo kabhi to manjil milegi
    aisi ahsa me
    subhash barthwal

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  16. सुन्दर। आखिरी वाली खास कर बहुत अच्छी लगीं।

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  17. बहुत सुंदर कहा है :
    आओ देखें इक स्वप्न नया,
    नई रचना हों, नई उम्मीदें,
    छोटी-छोटी सी ख्वाहिशें हो,
    हो अपनों की खुशियां जिनमें।

    ऐसा ही एक गुलिस्तान हमारा भी है जहाँ सारी कायनात के लिए शांति है सुख है

    आइये आपका इंतजार है.

    http://thakurmere.blogspot.com/

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