Sunday, June 13, 2010

महकते रंग गुल में........






महकते रंग गुल में,
गुलज़ार होते हैं,
मचलते ख़्वाब,
स्वप्न के पार होते हैं,



ना जाने क्यों,
मोहब्बत इम्तहां लेती,
जो भी डूबते इसमें,
वही कुर्बान होते हैं,



बङी खूबी से गिरते हैं,
ये पतझङ के जो पत्ते हैं,
नाम पत्ता रखा इनका,
रंग खो कर भी सवरते हैं,



जाम कोई भी हो साक़ी,
नशा वो दे ही देती है,
और ये इश्क का जलवा,
दवा भी जाम जैसी है,
........... 
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)

Thursday, March 11, 2010

दिल तो.........हम्मममम........






बिलकुल सच्चा है जी,

कुछ मचलता है और,

कुछ फिसलता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कुछ की चाहत में ये,

यूं ही खोता रहे,

न मिले कुछ अगर,

फिर तो रोता रहे,

पाने की चाह में,

यूं बिलखता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कभी मुस्कुराए यूं,

छोटी सी बात में,

कभी शरमाये यूं,

बिन किसी बात में,

अपनी खिलती हंसी में,

महकता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।





कोई याद पुरानी सी,

आ जाए जो,

और आंख में पानी सा,

भर जाए जो,

एक धुंधला सा सपना,

कह उठता है जी,

दिल तो बच्चा है जी।

थोङा कच्चा है जी।
.............
प्रीती बङथ्वाल तारिका
(चित्र साभार गूगल)

Friday, February 12, 2010

दिल की तमन्ना........






मन ख्वाब का पिटारा

उङता है डोलता है,

मिलती हैं,जबभी पलकें,

गुप-चुप सा, बोलता है।





मैं ख्वाब का समन्दर,

तुम खुल के सांस लेना,

बुनना उस खुशी को,

जिसकी भी हो तमन्ना।





उस मीठी-सी हंसी में,

सुकूं है, कई पलों का,

चलो आज खुल के हंस ले

दिल की है ये तमन्ना।
...........

प्रीती बङथ्वाल तारिका

(चित्र साभार गूगल)