मन ख्वाब का पिटारा
उङता है डोलता है,
मिलती हैं,जबभी पलकें,
गुप-चुप सा, बोलता है।
मैं ख्वाब का समन्दर,
तुम खुल के सांस लेना,
बुनना उस खुशी को,
जिसकी भी हो तमन्ना।
उस मीठी-सी हंसी में,
सुकूं है, कई पलों का,
चलो आज खुल के हंस ले
दिल की है ये तमन्ना।
...........
प्रीती बङथ्वाल “तारिका”
(चित्र – साभार गूगल)
महापावन पर्व महाशिवरात्री की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएं. संजय भास्कर
ReplyDeleteदिल की है ये तमन्ना , बहुत खुब , आपके ब्लोग गाना भी सुन्दर लग है , दिल तो बच्चा है ।
ReplyDeletekhubsurat
ReplyDeleteआपकी खूबसूरत तमन्ना पूरी हो.
ReplyDeletemn ka kya hai mn jb chahe jhan bhi ud jata hai
ReplyDeletekitna bhago is ke pichhe hath nhi aata hai
bhut bandhne ki koshish rhti hai jnjiron se
kitni koshish kr lene pr kon bandh pata hai
dr.vedvyathit@gmail.com
http://sahityasrajakved.blogspot.com
"चलो आज खुल के हंस ले
ReplyDeleteदिल की है ये तमन्ना"
"हँसकर जीना" यही सच्चा जीवन मार्ग है - सच्ची और अच्छी रचना
Bahut Sundar....Badhai!!
ReplyDeletehttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
दिल तो बच्चा है जी...
ReplyDeleteजय हिंद...
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
ReplyDeletebehad khoobsurat rachna hai... antim do panktiyan.. man ko bhaa gayi..
ReplyDeletepata hai aapke liye khush khabri hai jab online aayengi tab btaunga..
meet
Bahut hi acha super.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
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