Friday, February 12, 2010

दिल की तमन्ना........






मन ख्वाब का पिटारा

उङता है डोलता है,

मिलती हैं,जबभी पलकें,

गुप-चुप सा, बोलता है।





मैं ख्वाब का समन्दर,

तुम खुल के सांस लेना,

बुनना उस खुशी को,

जिसकी भी हो तमन्ना।





उस मीठी-सी हंसी में,

सुकूं है, कई पलों का,

चलो आज खुल के हंस ले

दिल की है ये तमन्ना।
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प्रीती बङथ्वाल तारिका

(चित्र साभार गूगल)