Thursday, January 15, 2009

मेरी तन्हाइयों में...वो कौन था?



यादों के झरोखों से ज़रा,
झांकता, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था,वो कौन था?

मैं खुद बेखबर थी,
कि अन्जान थी उससे,
जो मेरे सवालों में, ये भी एक,
सवाल था, वो कौन था?

जिसने मेरे घरौंदे में अपनी,
आस को बसाया था,
कुछ नन्ही खुशियों को घर में,
सितारों सा सजाया था,

इतने करीब थी जिसके,
फिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,

क्या मैं भी उन खुशियों को अपना,
आशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,

सोचते ही सोचते, वो अहसास,
एक विश्वास बना, वो कौन था?
मेरी तन्हाइयों में भी वो,
एक पहचान था, वो कौन था?

.............

प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
(चित्र- सभार गूगल)